What is Refraction of Light ?
किसी समांगी पारदर्शी माध्यम में प्रकाश की किरणें बिना दिशा बदले हुए एक सरल रेखा में चलती हैं परन्तु जब वे एक पारदर्शी माध्यम में चलने के बाद दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो दोनों माध्यमों को अलग करने वाले तल पर अभिलम्बवत् आपाती होने पर बिना मुड़े सीधे निकल जाती हैं परन्तु तिरछी आपाती होने पर वे अपनी मूल दिशा में विचलित हो जाती हैं। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन‘ कहते हैं।
प्रयोगों द्वारा देखा गया है, कि जब प्रकाश का अपवर्तन विरल माध्यम (Rarer medium) से सघन माध्यम (Denser medium) में होता है, तब अपवर्तित किरण अभिलम्ब की ओर झुक जाती है। इसके विपरीत जब प्रकाश का अपवर्तन सघन माध्यम से विरल माध्यम में होता है, तब अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है।
वायु के सापेक्ष किसी माध्यम का अपवर्तनांक उस माध्यम के निरपेक्ष अपवर्तनांक के लगभग बराबर होता है। किसी माध्यम का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न रंग (तरंग दैर्ध्य) के प्रकाश के लिए भिन्न-भिन्न होता है।
तरंग दैर्ध्य के बढ़ने के साथ अपवर्तनांक का मान कम हो जाता है। ताप के बढ़ने पर भी सामान्यत: अपवर्तनांक घटता है यद्यपि यह परिवर्तन बहुत कम होता है।
प्रकाश के अपवर्तन के कारण घटने वाली प्राकृतिक घटनाएं
(1) द्रव में अंशतः डूबी हुई सीधी छड़ अपवर्तन के कारण ही टेढ़ी हुए दिखायी देती है। (2) प्रकाश के अपवर्तन के कारण ही तारे टिमटिमाते हुए दिखायी देते हैं (3) सूर्योदय के समय सूर्य क्षिजित के नीचे ही होता है (अर्थात् सूर्योदय होने से पहले ही) तब भी वह दिखायी दे जाता है। (4) सूर्यास्त के समय, सूर्य क्षितिज के नीचे चला जाता है अर्थात् वह वास्तव में, अस्त हो गया होता है तब भी वह दिखायी देता रहता है। ऐसा प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है। (5) किसी बर्तन की तली में पड़ा हुआ सिक्का (Coin) ऊपर उठा हुआ दिखायी देता है, यह भी अपवर्तन का ही परिणाम है।