What are the types and properties of Coal ?
कोयला – लगभग तीन सौ मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर निचले जलीय क्षेत्रों में घने वन थे।बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण ये वन मृदा के नीचे दब गए।उनके ऊपर अधिक मृदा जम जाने के कारण वे संपिडित हो गये।जैसे जैसे वे गहरे होते गये उनका ताप भी बढ़ता गया। उच्च ताप और उच्च दाब के कारण पृथ्वी के भीतर मृत पेड़ पौधे धीरे धीरे कोयले में परिवर्तित हो गये। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन होता है।मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते हैं। क्योंकि वह वनस्पति के अवशेषों से बना है अतः कोयले को जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं।
कोयला मुख्यतः कार्बन के यौगिकों का मुक्त कार्वन का मिश्रण है।
जिस रासायनिक प्रक्रिया द्वारा वानस्पतिक पदार्थों का परिवर्तन कोयला में होता है, उसे कार्बनीकरण कहते हैं।
कार्बनीकरण की मात्रा के आधार पर कोयला चार किस्मों का होता है।
एन्थ्रासाइट – 90-98% कार्बन
बिटुमिनस – 70-86% कार्बन
लिग्नाइट – 60-70% कार्बन
पीट – 50-60% कार्बन
एन्थ्रासाइट कोयला उच्च कोटि का कोयला है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 94 से 98 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह कोयला मजबूत, चमकदार काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसायों में स्पेस-हीटिंग के लिए किया जाता है।
बिटुमिनस सामान्य किस्म का कोयला होता है l बिटुमिनस कोयला को मुलायम कोयला (Solt coal) भी कहते हैं। घरेलू कार्यों में बिटूमिनस कोयले का उपयोग होता है। विश्व में खनन किये जाने वाले कोयले का 80% भाग बिटुमिनस कोयला ही होता है। यह एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाप तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में भी होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
लिग्नाइट को ‘भूरा कोयला’ (Brown coal) कहते हैं। यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
पीट (Peat) कोयला निर्माण की प्रारंभिक इस कारण उसमें कार्बन की मात्रा सबसे कम होती है। पीट कोयला सबसे निम्न कोटि का होता है। यह कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।
विश्व का 90% कोयला उत्तरी गोलार्द्ध में तथा शेष 10% दक्षिणी गोलार्द्ध में पाया जाता है।
कोक (Coke)
कोयले को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करने पर इसके वाष्पशील अवयव निकल जाते हैं जो अवशेष बचता है, उसे ‘कोक’ कहा जाता है। इसमें 80 85″, कार्बन पाया जाता है।
कोक का उपयोग
1. धातुओं के निष्कर्षण में अवकारक के रूप में।
2. ईधन के रूप में।
3. इलेक्ट्रॉड बनाने में।