इस आर्टिकल में हम जानेगे कि :
टेरिडोफाइटा या टेरिडोफाइट क्या है ? What is Pteridophyta
टेरिडोफाइटा के प्रकार क्या है ? What are the types of Pteridophyta
टेरिडोफाइटा की विशेषताएं क्या है ?
टेरिडोफाइटा पादपों के मुख्य लक्षण क्या है ? What are the Main characteristics of Pteridophyta ?
टेरिडोफाइटा के प्रमुख आर्थिक महत्व Economic importance of Pteridophyta
टेरिडोफाइटा या टेरिडोफाइट क्या है ? (What is Pteridophyta)
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) ऐसे थैलीनुमा पादप, जो प्राचीनतम संवहनी पौधा है। यह मुख्यतया स्थलीय तथा छायादार और नम स्थानों पर पाया जाता है l परन्तु कुछ टेरिडोफाइट जलीय होते हैं; जैसे-एजोला, साल्वीनिया तथा मार्सिलिया आदि।
टेरिडोफाइट्स (टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)पहले सही अर्थों में land plants रूप में पौधों के जगत में एक महत्वपूर्ण समूह का गठन करते हैं। टेरिडोफाइट्स को “बीजाणु वाले संवहनी पौधे” या बीज रहित संवहनी पौधे भी कहा जाता है, वे क्रिप्टोगैम से संबंधित हैं।
टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes) शब्द दो शब्दों “”Pteron meaning feather” और ” phyton meaning plant” से लिया गया है। इस प्रकार टेरिडोफाइट पंख जैसी पत्तियों वाले पौधे होते हैं। टेरिडोफाइट्स ब्रायोफाइट्स (bryophytes) और स्पर्मेटोफाइट्स (spermatophytes) के बीच एक संक्रमणकालीन स्थिति पर कब्जा कर लेते हैं।
टेरिडोफ़ाइटा (Pteridophyta) फर्न और फर्न किस्म के पौधे हैं। इनमें कुछ पौधे आज भी पाए जाते हैं, पर एक समय, 35 करोड़ वर्ष पूर्व, डिवोनी युग में इनका बाहुल्य और साम्राज्य था, जैसा इनके फाँसिलों से पता लगता है और ये संसार के प्रत्येक भाग में फैले हुए थे। कोयले के फॉसिलों में ये विशेष रूप से पाए जाते हैं। टेरिडोफाइटा ही कोयला क्षेत्र की उत्पत्ति के कारण हैं।
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) कभी एक बड़ा पादप वर्ग हुआ करता था जिसके बड़े आकार के वृक्ष होते थे। किंतु जलवायु में निरंतर परिवर्तन से यह पोधे समाप्त हो गये और इनकी जगह विवर्तबीज (Gymnosperm) और आवृतबीजी किस्म के पौधों ने ले लिया है, पर कही कही यह आज भी पृथ्वी पर छोटे कद के टेरिडोफाइटा के रूप में मौजूद हैं।

टेरिडोफाइटा के प्रकार (Types of Pteridophyta)
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) को मुख्यतया तीन समूहों – क्लब मॉस (also known as Lycopods or Lycophytes), हॉर्स टेल (Horsetails) तथा फर्न (Ferns) में बाँटा जाता है।

टेरिडोफाइट्स (फर्न और लाइकोफाइट्स) बीजाणु वाले संवहनी पौधे (Free-sporing vascular plants) हैं जिनका जीवन चक्र बारी-बारी से, मुक्त-जीवित गैमेटोफाइट (Gametophyte) और स्पोरोफाइट (Sporophyte) चरणों के साथ होता है जो पूरी तरह परिपक्व होने पर यह स्वतंत्र हो जाते हैं। स्पोरोफाइट का शरीर जड़ों, तने और पत्तियों में अच्छी तरह से विभेदित (differentiated ) होता है। इनकी जड़ बहुत strong होती है और इनका तना या तो भूमिगत होता है या हवा में लटकता रहता है ।

पत्तियां माइक्रोफिल (Microphylls ) या मेगाफिल (Megaphylls ) दोनों में से कोई एक होती हैं। इनमे वैस्कुलर प्लांट एपोमॉर्फीज़ (Vascular Plant Apomorphies) (जैसे, वैस्कुलर टिश्यू (vascular tissue) और लैंड प्लांट प्लेसीओमॉर्फीज़ (Land Plant Plesiomorphies) (जैसे, बीजाणु फैलाव और बीजों की अनुपस्थिति) शामिल हैं।
फर्न का तना भूमिगत होता है, जो राइजोम (प्रकन्द) कहलाता है। यह भूमि में तिरछा उगता है। इसी कारण से इसका शीर्ष भाग भूमि में से कुछ बाहर निकला रहता है। यह फर्न का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जिसके निचले भाग से जड़ तथा ऊपरी भाग से पत्ती निकलती है। एजोला एक जलीय फर्न है, इसका उपयोग जैव-उर्वरक की तरह होता है।

टेरिडोफाइटा के मुख्य लक्षण और विशेषताएं (Characteristic of Pteridophyta)
यह टेरिडोफाइटा पादप जगत का एक ऐसा वर्ग है जिनमें फूलों (पुष्पों) और बीजों का निर्माण तो नहीं होता किंतु संवहन ऊतक (Vascular plants) उपस्थित होते हैं अर्थात टेरिडोफाइटा पादप वर्ग के पौधों में फूल और बीज नही पाए जाते है
संवहन ऊतक के द्वारा ही शरीर के संपूर्ण भागों में जल, खनिज लवण और भोजन का संवहन होता है। टेरिडोफाइटा पादप वर्ग के पादपों का शरीर जड़, तना और पत्ती में विभक्त होता है।
टेरिडोफाइट जाइलम और फ्लोएम के साथ एक संवहनी पौधा है जो बीजाणुओं (spores) को फैलाता है। क्योंकि टेरिडोफाइट्स न तो फूल पैदा करते हैं और न ही बीज, उन्हें कभी-कभी “क्रिप्टोगैम” (cryptogams) कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि उनके प्रजनन के साधन छिपे हुए हैं।
जैसा की उपर बताया गया है इस प्रकार के पोधों में संवहन ऊतक जाइलम और फ्लोएम होते हैं, जो खनिज लवण, जल और भोजन का संवहन करते हैं।
कुछ फॉसिलों में जड़ें और पत्तियाँ नहीं पाई गई हैं। ये संवहनीय (vascular) पौधे हैं
इनके बीजाणु अंकुरित होकर फर्न नहीं बनते, अपितु ये सूक्ष्म और नगण्य thallus बनते हैं, जिनमें लैंगिक इंद्रियों जैसे भाग रहते हैं।
टेरिडोफाइटा प्रजाति के वृक्षों का शरीर जड़, तना और पत्ती में विभाजित होता है। किन्तु कुछ पादपों में यह संरचनाएँ विकसित होती है, जबकि कुछ पादपों में अल्प विकसित होती हैं।
टेरिडोफाइटा पादप वर्ग के ऊतक अधिक विकसित नहीं होते हैं। जबकि कुछ पादपों में जड़े पूरी तरह से अनुपस्थित होती है।
टेरिडोफाइटा वर्ग का मुख्य पौधा बीजाणुभिद होता है, जो जड़, तना, तथा पत्ती में विभक्त रहता है।
यह उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन में इसकी अधिकता मिलती है।
फर्न के जीवन चक्र में प्रभावी प्रवस्था द्विगुणित बीजाणुद्भिद् होती है अर्थात् जीवन चक्र बीजाणुद्भिद् में दो प्रावस्था युग्मकोद्भिद् एवं बीजाणुद्भिद् होती हैं।
जीवन चक्र में प्रभावी पौधा बीजाणुद्भिद् ही होता है
बीजाणुद्भिद् जड़, तना और पत्तियों में विभक्त होता है।
जड़ का स्वरूप अपस्थानिक होता है, जो राइजोम (प्रकन्द) से नीचे की और निकलती है। यद्यपि एडिएण्टम नामक फर्न अपस्थानिक जड़ें पत्तियों से तब निकलती है, जब पत्तियों के शीर्ष भाग मिट्टी के सम्पर्क में आते हैं इन पत्तियों से नए पौधे निकलते हैं इसी आधार पर एडिएण्टम को घुमक्कड़ फर्न (walking fern) कहा जाता है।
युग्मोदभिद पौधे पर नर और मादा जननांग होते है, नर जननांग को पुंधानी तथा मादा जननांग को स्त्रीधानी के नाम से जाना जाता है।
टेरिडोफाइटा के प्रमुख आर्थिक महत्व Economic importance of Pteridophyta
टेरिडोफाइटा का को विशेष आर्थिक महत्त्व नही है फिर भी इसके कुछ सामान्य आर्थिक महत्व निम्न है :
मरसीलिया और सिरेटोप्टेरिस जैसे कुछ टेरिडोफाइटा का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है।
टेरिडियम जैसे टेरिडोफाइटा का उपयोग पालतू पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है l
लाइकोपोडियम के बीजाणु का उपयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों के उत्पादन में किया जाता है।
सिलेजिनेला जैसे टेरिडोफाइटा की पुनर्जीवन की खास विशेषता होने के कारण इन टेरिडोफाइट्स पोधों का उपयोग सजावट के रूप में किया जाता है l
टेरिडोफाइटा से जुड़े महत्वपुर्ण प्रश्न – उत्तर
टेरिडोफाइटा क्या होते है ?
टेरिडोफाइट्स संवहनी पौधे (vascular plants ) होते हैं जो बीजाणुओं का उपयोग करके प्रजनन करते हैं। वे फूल और बीज नहीं पैदा करते हैं और इसलिए उन्हें क्रिप्टोग्राम्स (cryptogams) भी कहा जाता है।
टेरिडोफाइट्स के तीन अलग-अलग प्रकार क्या हैं?
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) को मुख्यतया तीन समूहों – क्लब मॉस (also known as Lycopods or Lycophytes), हॉर्स टेल (Horsetails) तथा फर्न (Ferns) में बाँटा जाता है।
टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes) को ट्रेकोफाइट्स (tracheophytes) क्यों कहा जाता है?
टेरिडोफाइट्स को ट्रेकोफाइट्स के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनमें पानी और पोषक तत्वों के संचालन के लिए विशेष ऊतक होते हैं। इन विशिष्ट ऊतकों को जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) के रूप में जाना जाता है।
टेरिडोफाइट्स कहाँ पाए जाते हैं?
टेरिडोफाइट नम, छायादार और नम स्थानों में पाए जाते हैं। वे चट्टानों, दलदलों और दलदलों और उष्णकटिबंधीय पेड़ों की दरारों में पाए जाते हैं।
टेरिडोफाइट्स को “वानस्पतिक सर्प (botanical snakes)” क्यों कहा जाता है?
सरीसृप (Reptiles) उभयचरों (amphibians)के बाद भूमि पर विकसित होने वाले वाला दुसरे जानवर थे उसी तरह टेरिडोफाइट्स पहले भूमि पर पाए जाने पोधे थे जो ब्रायोफाइट्स (Bryophytes) के बाद विकसित हुए | यही कारण है कि टेरिडोफाइट्स को “वानस्पतिक सर्प (botanical snakes) या “पादप जगत के सर्प” कहा जाता है।