What is Moment of Force ?
परिभाषा
जब किसी पिण्ड पर लगा बाह्य बल उसे किसी अक्ष के परितः घुमाने का प्रयास करता है, तो बल की इस प्रवृत्ति को बल आघूर्ण कहते हैं।
घूर्णन गति
यदि हम किसी पिण्ड को एक बिन्दु पर स्थिर करके उसके किसी अन्य बिन्दु पर एक बल लगाएं (जिसकी क्रिया-रेखा पर स्थिर बिन्दु न हो) तो वह पिण्ड स्थिर बिन्दु के परितः घूमने लगता है। इस गति को ‘घूर्णन गति’ कहते हैं।
बल द्वारा एक पिण्ड को एक अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति को ‘बल-आघूर्ण’ कहते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल बल के परिमाण पर निर्भर करती है अपितु अक्ष से बल की क्रिया-रेखा के बीच की लम्बवत् दूरी पर भी निर्भर करती है। अत: किसी अक्ष (या बिन्दु) के परित: एक बल का बल-आघूर्ण उस बल के परिमाण तथा अक्ष (या बिन्दु) से बल की क्रिया-रेखा के बीच की लम्बवत् दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
यदि किसी बल को अक्ष से अधिक दूरी पर लगाया जाए तो उसका बल-आघूर्ण अधिक होगा। उदाहरण :
नट और बोल्ट को कसने (Screwing) या खोलने (Unscrewing) के लिए प्रयुक्त किए जाने वाला पाना या स्पैनर (Spanner) इसी सिदान्त पर कार्य करते है l
जब दरवाजे को खोलने के लिए हम बल को कब्जे (Hinge) के बहुत पास लगाते हैं तो हम उसे नहीं खोल पाते हैं, परन्तु कब्जे से दूर थोड़ा बल लगाने पर ही दरवाजा खुल जाता है।
आटा पीसने की हाथ की चक्की में हत्था किनारे पर लगाते हैं जिससे आघूर्ण भुजा बढ़ जाती है और कम बल लगाना पड़ता है।
कुम्हार के चाक में भी घुमाने का डण्डा लगाने के लिए गड्ढा केन्द्र से दूर परिधि के निकट बनाया जाता है जिससे आघूर्ण ऊर्जा बढ़ जाए।
बल आघूर्ण के सिदान्त पर आधारित मशीनें
उत्तोलक (Lever), घिरनी या गरारी (Pulley). आनत तल (Inclined plane), स्क्रू जैक, आदि कुछ सरल मशीनों के उदाहरण हैं। सरल मशीन एक ऐसी युक्ति (Device) होती है जिसमें किसी सुविधाजनक बिन्दु पर एक बल लगाकर, किसी अन्य बिन्दु पर रखे हुए एक भार को उठाया जा सकता है।
याद रखिये l
मशीन द्वारा यद्यपि कम बल लगाकर अधिक भार उठाया जा सकता है, परन्तु निवेशित ऊर्जा (Input energy) सदैव निर्गत (Output) ऊर्जा से अधिक होती है, क्योंकि ऊर्जा का कुछ अंश घर्षण बलों के विरुद्ध कार्य करने में खर्च हो जाता है। अतः मशीन द्वारा किया गया लाभदायक कार्य दी गई ऊर्जा से कम होता है। अत: मशीन की दक्षता (Efficiency) 100% से कम होती है।