What is Radioactive Rays ?
रेडियोसक्रिय पदार्थों से निकलने वाली अदृश्य किरणों को रेडियोसक्रिय किरणें (Radioactive rays) कहते हैं।
रेडियोसक्रिय पदार्थों से निकलने वाली इन किरणों को रदरफोर्ड ने 1902 ई. में चुम्बकीय तथा विद्युत क्षेत्र से प्रवाहित करके पाया कि कुछ किरणों विद्युत क्षेत्र के धन ध्रुव की ओर मुड़ जाती है तथा अन्य किरणों पर चुम्बकीय एवं विद्युत क्षेत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और ये सीधे गमन करती हुई निकल जाती हैं।
रदरफोर्ड ने इन किरणों को क्रमश: अल्फा-किरण (α-rays), बीटा-किरण (β-rays) तथा गामा-किरण (γ-rays) कहा।
रेडियोसक्रिय किरणों के गुण
अल्फा (α) किरणों के गुण
i. ये किरणे अति सूक्ष्म धन आवेशित कणों की बनी होती हैं। इस कारण विद्युत क्षेत्र से होकर गमन करते समय ये किरणें विद्युत क्षेत्र के ऋण ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं।
ii. प्रयोग के आधार पर यह पाया गया है, कि α-कण वस्तुत: द्विआवेशयुक्त हीलियम आयन (He++) हैं। इनकी मात्रा हाइड्रोजन परमाणु की मात्रा से चार गुनी अधिक होती है।
iii. ये कण अत्यंत तीव्र वेग से रेडियोसक्रिय तत्वों के नाभिक से बाहर निकलते हैं। इसका वेग प्रकाश के वेग का लगभग 1/10 भाग होता है।
iv. इन कणों का द्रव्यमान अधिक होने के कारण इनकी गतिज ऊर्जा अधिक होती है।
v. इन किरणों को किसी गैस से होकर प्रवाहित करने पर ये आयनित कर देती हैं।
vi. अधिक द्रव्यमान होने के कारण इन किरणों की भेदन क्षमता (Penetrating power) कम होती है। मिमी. मोटी ऐलुमिनियम की एक पत्तर इन्हें रोक सकती है।
vii. ये किरणे फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं तथा जिंक सल्फाइड या बेरियम प्लैटिनोसायनाइड में स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) उत्पन्न करती है।
viii. ये किरणें जीव कोशिकाओं (Living cells) को नष्ट कर देती हैं।
बीटा (β) किरणों के गुण
i. ये किरणें ऋण आवेशयुक्त अत्यंत सूक्ष्म कणों की बनी होती हैं। इस कारण विद्युत क्षेत्र से होकर गमन करते समय ये किरणें विद्युत क्षेत्र के धन ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं।
ii. इन कणों के लिए आवेश और द्रव्यमान का अनुपात e/m कैथोड किरणों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के समान होता है।
iii. इन किरणों का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1840 होता है।
iv. इन कणों का वेग प्रकाश के वेग का लगभग 9/10 वां भाग होता है अर्थात् इनका वेग α-कण के वेग का नौ गुना होता है।
v. इनकी गतिज ऊर्जा α-कणों से बहुत कम होती है, क्योंकि इनका द्रव्यमान कम होता है।
vi. कम गतिज ऊर्जा के कारण इनकी आयतन क्षमता कणों की अपेक्षा कम होती है।
vii. उच्च वेग और कम द्रव्यमान होने के कारण इनकी भेदन क्षमता (Penetrating power) α कणों से 100 गुनी अधिक होती है। इनको रोकने के लिए 0.01 मीटर मोटी ऐलुमिनियम की चादर आवश्यक होती है।
viii. इनकी गतिज ऊर्जा कम होने के कारण इन किरणों में जिंक सल्फाइड एवं बेरियम प्लेटिनोसायनाइड जैसे लवणों में स्फुरदीप्ति उत्पन्न करने की क्षमता नहीं के बराबर होती है।
ix. किसी विद्युत क्षेत्र से होकर गुजरने पर ये धन-ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं, किन्तु किरणों की अपेक्षा इनका विचलन अधिक होता है।
x. इन किरणों में जीव कोशिकाओं (Living cells) को नष्ट करने की क्षमता होती है।
गामा (γ) किरणों के गुण
i. ये किरणें विद्युतत: उदासीन होती हैं। इस कारण विद्युत क्षेत्र से होकर गमन करते समय किरणें विचलित नहीं होती हैं।
ii. ये किरणें अति लघु तरंगदैर्घ्य वाली विद्युत चुम्बकीय तरंग है।
iii. ये किरणें कणों की नहीं बनी होती हैं।
iv. इनका वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है।
V. इनकी मात्रा शून्य होती है। अत: गामा किरणे अद्रव्य (Non-material) प्राकृतिक वाली होती है।
vi. अति उच्च वेग से गतिशील होने के कारण गामा किरणों की भेदन क्षमता (Penetrating power) α- और β-किरणों की तुलना में सबसे अधिक होती है।
vii. इन किरणों का द्रव्यमान नहीं के बराबर होने के कारण इनका फोटाग्राफिक प्लेट एवं जिंक सल्फाइड या बेरियस प्लैटिनोसायनाइड पर प्रभाव बहुत कम पड़ता है।
viii. इन किरणों में जीव-कोशिकाओं को नष्ट करने की शक्ति होती है।
ix. गतिज ऊर्जा का मान बहुत कम होने के कारण इन किरणों में गैसों को आयनित करने की क्षमता बहुत कम होती है।