The Vigyan
No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
  • Science For SSC
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
  • Science For SSC
No Result
View All Result
The Vigyan
No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
  • Science For SSC

पुष्प या फूल (Flowers) , पुष्प के प्रकार, मुख्य विशेषताएँ, परागण | निषेचन | पुंकेसर | बीजाण्डासन (Placentation) और अण्डप | Flowers in Hindi (detailed सम्पूर्ण जानकारी)

in बायोलॉजी
Reading Time: 4 mins read
0
491
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

Contents

  • 1 पुष्प (Flower)
  • 2 पुष्प की रचना
  • 3 पुष्प (Flower) के मुख्य भाग
  • 4 1. बाह्य दलपुंज (Calyx)
  • 5 2. दलपुंज (Corolla)
  • 6 3. पुमंग (Androecium)
  • 7 पुंकेसर
  • 8 4. जायाँग (Gynoecium)
  • 9 अण्डप
  • 10 पुष्प का कार्य
  • 11 परागण
  • 12 परागण की विधियां (Methods of pollination)
  • 13 निषेचन (Fertilization)
  • 14 निषेचन के पश्चात् पुष्प में होने वाले परिवर्तन
  • 15 बीजाण्डासन (Placentation)
  • 16 1. सीमान्त (Marginal)
  • 17 2. भित्तीय (Pnrietal)
  • 18 3. स्तम्भीय या अक्षवर्ती (Axile)
  • 19 4. आधारिक (Basal)
  • 20 5. मुक्त स्तम्भीय (Free central)
  • 21 6. परिभित्तीय (Superficial)

इस आर्टिकल में हम जानेगे की पुष्प या फल क्या है ? क्योकि पुष्पीय पौधों में पुष्प एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है। तो हम पुष्प के प्रकार, पुष्प की मुख्य विशेषताएं और पुष्प के उपयोग के बारे में बतायेगे | साथ ही हम जानेगे की परागण, निषेचन, पुंकेसर, बीजाण्डासन क्या होते है और यह किस प्रकार पुष्प से सम्बंधित है |

पुष्प (Flower)

पुष्पीय पौधों में पुष्प एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है। आकारकीय (Morphological) रूप से पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह (स्तम्भ) है जिस पर गाँठे तथा रूपान्तरित पुष्पी पत्तियाँ लगी रहती हैं। पुष्प प्रायः तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती के अक्ष (Axil) में उत्पन्न होकर प्रजनन (Reproduction) का कार्य करती है तथा फल एवं बीज उत्पन्न करता है।

पुष्प या फूल एक रूपान्तरित प्ररोह है। इसमें जनन अंग तथा सहायक अंग उपस्थित होते हैं। जिस पुष्प में दोनों जनन अंग अर्थात नर और मादा हो, तो उसे द्विलिंगी पुष्प तथा जब केवल एक जननांग (नर या मादा उपस्थित होते हैं तो उसे एकलिंगी कहते हैं। एक ही पौधे पर नर तथा मादा दोनों पुष्प होने पर पौधा उभयलिंगाश्रयी, जबकि नर तथा मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर उपस्थित उपस्थित होने एकलिंगीश्रयी कहलाता है।

पुष्प की रचना

पुष्प एक डंठल द्वारा तने से सम्बद्ध होता है। इस डंठल को वृन्त या पेडिसेल (Pedicel) कहते हैं। वृन्त के सिरे पर स्थित चपटे भाग को पुष्पासन या थेलामस (Thalamus) कहते हैं। इसी पुष्पासन पर पुष्प के विविध पुष्पीय भाग (Floral Parts) एक विशेष प्रकार के चक्र (Cycle) में व्यवस्थित होते हैं।

पुष्प (Flower) के मुख्य भाग

पूर्ण पुष्प में चार मुख्य भाग निम्न है :

  1. बाह्य दलपुंज (Calyx),
  2. दलपुंज (Corolla),
  3. पुमंग (Androecium)
  4. जायांग (Gynoecium)

पूर्ण पुष्प में चार मुख्य भाग बाह्य दलपुंज एवं दलपुंज (दोनों सहायक अंग) तथा पुमंग एवं जायांग (दोनों आवश्यक अंग) उपस्थित होते हैं। तने से पुष्पों को जोड़ने वाले अंग वृन्त पुष्प का डण्ठल होता है।

1. बाह्य दलपुंज (Calyx)

यह पुष्प का सबसे बाहरी चक्र होता है। बाह्यदलपुंज एक दूसरे से स्वतन्त्र (polysepalous) या एक दूसरे से जुड़े हो सकते हैं। कुछ पौधों जैसे सिंघाड़ा में बाह्य दलपुंज काँटों में रूपान्तरित हो जाते हैं। कम्पोजिटी कुल के पौधों में रोमों के समान हो जाते है, जिन्हें रोमगुच्छ कहते हैं।

2. दलपुंज (Corolla)

यह अनेक इकाइयों अर्थात् दलों से मिलकर बनता है, जो विभिन्न वर्णकों के कारण चमकीले होते हैं तथा फूलों को आकर्षक रूप प्रदान करते हैं।

3. पुमंग (Androecium)

पुमंग (Androecium) पुष्प का नर जनन अंग है, जो पुंकेसरों (stamens) का बना होता है। पुंकेसर पुतन्तु (filament), परागकोष (anther) तथा योजी (connective) से मिलकर बना होता है।

पुंकेसर

अधिकांश पुंकेसरों में दो परागकोष होते हैं, जिन्हें द्विकोष्ठी कहते हैं परन्तु मालवेसी कुल में एककोष्ठी (monothecous) पुंकेसर मिलते हैं।

– पुष्प में पुंकेसर स्वतन्त्र अर्थात् पृथक पुंकेसरी या संयुक्त अर्थात् संघी हो सकते हैं; जैसे

1. एकसंघी सभी पुंकेसरी एक समूह में, उदाहरण गुड़हला

2. द्विसंघी पुंकेसरों के पुतन्तु परस्पर जुड़कर दो समूह बनाते हैं, उदाहरण मटर

3. यहुसंघी पुतन्तु संयुक्त होकर दो से अधिक समूह बनाते हैं, उदाहरण बॉम्बेक्सा

4. युक्तकोषी पुंकेसर अपने परागकोषों से जुड़े होते हैं और उनके पुतन्तु स्वतन्त्र होते हैं, उदाहरण कम्पोजिटी।

5. युक्तपुंकेसरी पुंकेसरों के परागकोष तथा पुतन्तु दोनों आपस में पूरी तरह जुड़े होते हैं, और उनके में पुंतन्तु स्वतन्त्र होते हैं, उदाहरण कम्पोजिटी।

– जब पुंकेसर दल से जुड़े होते है, तो इन्हें दललग्न, जैसे धतूरा व बैगन, जब परिदल से जुड़े होते हैं, तो इन्हें परिदललग्न; जैसे-प्याज व लहसुन तथा जब जायाँग के साथ जुड़े होते हैं, तो इन्हें पुंजायाँगी कहते हैं; जैसे-मदार।

द्विदिघ्री (Didynamous) अवस्था में 4 पुंकेसर में से 2 के पुतन्तु बड़े तथा दो के छोटे होते हैं; के सदस्य। जैसे-लेबिऐटी कुल के सदस्य

चतुदीघ्री (Tetradynamous) अवस्था में 6 पुंकेसरों में से 2 बाहर वाले पुंकेसरों के पुंतन्तु छोटे तथा चार अन्दर वाले पुंकेसरों के पुतन्तु बड़े होते हैं; जैसे-क्रूसीफेरी कुल के सदस्य ।

4. जायाँग (Gynoecium)

यह पुष्प का मादा जनन अंग है, जो अनेक अण्डपों से मिलकर बना होता है। अण्डपों की संख्या के आधार पर जायाँग एकाअण्डपी; जैसे-मटर, द्विअण्डपी; जैसे-सरसों, त्रिअण्डपी; जैसे-कुकुरबिटा, पंचाण्डपी; जैसे-गुड़हल और बहुअण्डपी; जैसे- पैपेवर आदि होता है।

उर्ध्ववर्ती (Superior) अवस्था में अण्डाशय बाह्यदलों, दलों तथा पुंकेसरों से ऊपर होता है, जबकि अधोवर्ती (inferior) अवस्था में पुष्पासन अण्डाशय से संगलित हो जाता है और बाह्यदल, दल तथा पुंकेसर अण्डाशय के ऊपर लगे होते हैं।

अण्डप

अण्डप के मुख्यतया तीन भाग होते हैं

1. अण्डाशय (Ovary) अण्डप के आधार का फूला हुआ भाग अण्डाशय कहलाता है।

2. वर्तिका (Style) अण्डाशय के ऊपर वाले भाग, लम्बी और पतली संरचना वर्तिका कहलाती है।

3. वर्तिकाग्र (Stigma) यह वर्तिका का शीर्ष भाग होता है।

पुष्प का कार्य

पुष्प का मुख्य कार्य लिंगीय प्रजनन द्वारा फल तथा उसके अन्दर बीज का निर्माण करना है।

परागण

परागकणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण परागण कहलाता है। यह दो प्रकार से होता है:

– स्व-परागण (Self-pollination) में एक पुष्प के परागण उसी पुष्प अथवा उसी पौधे के दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं।

– पर-परागण (Cross-pollination) में एक पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। पर-परागण की क्रिया वायु, जल, कीट तथा जन्तुओं के द्वारा होती है। पर-परागण के अन्तर्गत वायु द्वारा परागण अर्थात् । एनिमोफिली; जैसे-गेहूँ, मक्का आदि में, जल द्वारा अर्थात् हाइड्रोफिला; जैसे-हाइड्रिला में, कीटों द्वारा अर्थात् एन्टोमोफिली।

• अधिकांश पुष्पों में सर्वाधिक सफल परागण कीटों के माध्यम से ही होता है। इस क्रिया में पराग कणों की न्यूनतम क्षति होती है। पुष्पों में उपस्थित मकरन्द (nectas) कीटों का प्रिय भोजन है। पक्षियों द्वारा परागण अर्थात् ऑर्निथोफिली सेमल वृक्ष में, चमगादड़ द्वारा अर्थात चिरोप्टेरोफिली जैसे कदम्ब वृक्ष में, घोघों द्वारा अर्थात् मैलेकोफिली परागण; जैसे-अरवी में, हाथी द्वारा रफ्लेशिया में आदि परागण विधियाँ आती हैं।

परागण की विधियां (Methods of pollination)

  1. वायु परागण (Anemophilous): वायु द्वारा परागण
  2. कीट परागण (Entomophilous): कीट द्वारा परागण
  3. जल परागण (Hydrophilous): जल द्वारा परागण
  4. जन्तु परागण (zoophilous): जन्तु द्वारा परागण
  5. पक्षी परागण (Ornithophilous): पक्षियों द्वारा परागण
  6. मेलेकोफिलस (Malacophilous): घोंघे द्वारा परागण
  7. चिरोप्टोफिलस (Chiroptophilous): चमगादड़ द्वारा परागण

निषेचन (Fertilization)

परागण के पश्चात निषेचन की क्रिया प्रारम्भ होती है। परागनली (Pollen tube) बीजाण्ड (ovule) में प्रवेश करके बीजाण्डासन को भेदती हुई भ्रूणपोष (Endosperm) तक पहुँचती है और परागकणों को वहीं छोड़ देती है। इसके पश्चात् एक नर युग्मक एक अण्डकोशिका से संयोजन करता है। इसे ही निषेचन कहते हैं। अब निषेचित अण्ड (Fertilized egg) युग्मनज (zygote) कहलाता है। यह युग्मनज बीजाणुभिद की प्रथम इकाई है।

निषेचन के पश्चात बीजाण्ड से बीज, युग्मनज से भ्रूण (embryo) तथा अण्डाशय से फल का निर्माण होता है। आवृत्तबीजी पौधों (Angiospermic plants) में निषेचन को त्रिक संलयन (Triple fusion) कहते हैं।

निषेचन के पश्चात् पुष्प में होने वाले परिवर्तन

निषेचन के पश्चात् पुष्प में निम्नलिखित प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैं-

  1. बाह्य दलपुंज (Calyx): यह प्रायः मुरझाकर गिर जाता है। अपवाद-मिर्च।
  2. दलपुंज (Corolla): यह मुरझाकर गिर जाता है।
  3. पुंकेसर (stamen): यह मुरझाकर झड़ जाता है।
  4. वर्तिकाग्र (stigma): यह मुरझा जाती है।
  5. वर्तिका (style): यह मुरझा जाती है।
  6. अण्डाशय (Ovary): यह फल में परिवर्तित हो जाती है।
  7. अण्डाशय भित्ति (Ovary wall): यह फलाभित्ति (Pericarp) में परिवर्तित हो जाती है।
  8. त्रिसंयोजक केन्द्रक (Triple fused nucleus): यह भ्रूणपोष (Endosperm) में परिवर्तित हो जाती है।
  9. अण्डकोशिका (Egg cells): यह भ्रूण (embryo) में परिवर्तित हो जाता है।
  10. बीजाण्डसन (Nucellus): यह पेरीस्पर्म (Perisperm) में परिवर्तित हो जाती है।
  11. बीजाण्ड (Ovule): यह बीज (seed) में परिवर्तित हो जाती है।

बीजाण्डासन (Placentation)

बीजाण्डों के वितरण को बीजाण्डन्यास कहते हैं। बीजाण्डासन पुष्पासन (thalamus) या अधर सेवनी (ventral suture) से उत्पन्न विशेष प्रकार का ऊतक है। बीजाण्डन्यास निम्न प्रकार के होते हैं:

1. सीमान्त (Marginal)

यह एकाण्डपी अण्डाशय में पाया जाता है, इसमें बीजाण्ड अण्डाशय की सीवन (suture) पर लगे होते हैं। जैसे-लेग्युमिनासा कुल के सदस्य।

2. भित्तीय (Pnrietal)

यह द्वि, त्रि या बहुअण्डपी तथा एक कोष्ठी अण्डाशय में पाया जाता है, बीजाण्ड अण्डाशय की भीतरी भित्ति पर लगे होते हैं; जैसे-सरसों, मूली, आरजीमॉन।

3. स्तम्भीय या अक्षवर्ती (Axile)

यह द्वि, त्रि,  बहुअण्डपी अण्डाशय में पाया जाता है। बीजाण्डासन अण्डाशय के केन्द्रीय अक्ष पर उत्पन्न होता है; जैसे-गुड़हल, टमाटर, लिली।

4. आधारिक (Basal)

अण्डाशय एक कोष्ठकीय होता है तथा बीजाण्डासन अण्डाशय के आधार पर लगा होता है, प्रत्येक बीजाण्डासन पर केवल बीजाण्ड जुड़ा होता है; जैसे-सूरजमुखी गेहूँ।

5. मुक्त स्तम्भीय (Free central)

बहुअण्डपी, युक्ताअण्डपी तथा कोष्ठकी अण्डाशय में पाया जाता है, बीजाण्ड अण्डाशय के केन्द्रीय अक्ष पर लगे होते हैं; जैसे-सैपोनेरिया, प्राइमुला।

6. परिभित्तीय (Superficial)

यह बहुअण्डपी, युक्ताअण्डपी तथा बहुकोष्ठकीय अण्डाशय में पाया जाता है, इसमें बीजाण्ड अण्डपों की भीतरी दीवार की विभाजन भित्तियों पर उत्पन्न होते हैं; जैसे-वाटर लिली।

Related posts:

  1. पुष्पक्रम (Inflorescence) किसे कहते हैं? परिभाषा , पुष्पक्रम के प्रकार, उदाहरण Inflorescence in Hindi | What Is Inflorescence
  2. कोशिका (Cell) से जुड़े महत्वपुर्ण प्रश्न और उत्तर | कोशिका (Koshika) के सवाल और जवाब | जीव विज्ञान प्रश्नोतरी | Cell Biology Topics | कोशिका विज्ञान से जुडी जानकारी |
  3. आनुवंशिकता किसे कहते है ? आनुवंशिकी (Genetics) की परिभाषा क्या है ? hereditary meaning in Hindi | Biology in Hindi
  4. अनावृतबीजी (Gymnosperms) एवं आवृतबीजी (Angiosperm) क्या है ? अनावृतबीजी एवं आवृतबीजी पोधों के बीच अंतर, लक्षण, विशेषताएँ और महत्त्व क्या है ?
  5. पत्ती (Leaf) किसे कहते है? पत्ती/पर्ण क्या है, परिभाषा, पत्ती की संरचना, भाग, पत्ती के प्रकार, रूपान्तरण, पत्ती के कार्य What is leaf, its type (Leaf in Hindi)
  6. गुणसूत्र की खोज, संरचना, आकार, आकृति, रासायनिक संगठन, प्रकार एवं कार्य (Chromosome in Hindi सम्पूर्ण जानकारी)
  7. प्लांटी (पादप जगत) Kingdom Plante क्या है ? उसके वर्गीकरण, विशेषताएँ और प्रकार (Hindi me)
  8. कोशिकांग (Cell Organelles) क्या होते हैं? कोशिकांग के प्रकार (Types of Cell Organelles) | सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
  9. पादप ऊतक | Plant Tissue | जाइलम, फ्लोएम, Phloyem, Xylem, Plant Tissues in Hindi
  10. कोशिका विभाजन (Cell Division) क्या है ? कोशिका चक्र क्या है ? | अर्द्धसूत्री विभाजन एवं समसूत्री विभाजन in Hindi
Tags: biologyFlowersपुष्प
Share196Tweet123Send

अन्य रोचक जानकारीयाँ

बायोलॉजी

मानव प्रजनन तंत्र | Human Reproductive System

October 25, 2022
0

इस आर्टिकल में हम प्रजनन तंत्र के बारे में जानेगे | प्रजनन तंत्र (Reproductive System)...

Read more
बायोलॉजी

मानव कंकाल तंत्र (Human Skeletal System)

October 17, 2022
0

हमारे शरीर को निश्चित आकार एवं आकृति प्रदान करने के लिए एक ढांचे (structure) की...

Read more
बायोलॉजी

मनुष्य के संवेदी अंग (Human Sense Organs) (ज्ञानेन्द्रिय) | ह्यूमन सेंस ऑर्गन्स

October 2, 2022
0

इस आर्टिकल में हम मानव के प्रमुख संवेदी अंगों (Human Sense Organs) के बारे में...

Read more
बायोलॉजी

तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) | मानव तंत्रिका तन्त्र (Human Nervous System) | मस्तिष्क (Brain)

September 22, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे की तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) क्या होता है, तन्त्रिका कोशिका...

Read more
बायोलॉजी

Plant Hormone | प्लांट हार्मोन | पादप हार्मोन क्या हैं ? | Types of Plant Hormones in Hindi

September 10, 2022
0

पादप हार्मोन शब्द स्टर्लिंग द्वारा दिया गया। पौधों में उसकी वृद्धि और विकास को नियंत्रित...

Read more
बायोलॉजी

मानव में अंतःस्त्रावी तंत्र (Endocrine System in Hindi) (ग्रंथियां (Glands) एवं हार्मोन्स (Harmones)

September 4, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे की मानव में अंतःस्त्रावी तंत्र (Endocrine System) किस प्रकार कार्य...

Read more
बायोलॉजी

मनुष्य का उत्सर्जन तंत्र | Human Excretory System | Kidney | गुर्दा | वृक्क | मानव उत्सर्जन तंत्र (Human Excretory System in Hindi)

October 3, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे की उत्सर्जन तंत्र (Excretory System) क्या है, मानव उत्सर्जन तंत्र...

Read more
बायोलॉजी

मानव परिसंचरण तन्त्र (Human Circulatory System in Hindi) | हृदय (Heart) और रुधिर (Blood) | जन्तुओं में परिसंचरण तन्त्र (Circulatory System in Animals)

August 27, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे मानव परिसंचरण तन्त्र (Human Circulatory System in Hindi) क्या है...

Read more
बायोलॉजी

पौधों में परिसंचरण तंत्र की क्रियाविधि | पौधों में परिवहन (Transportation in Plants in Hindi)

August 27, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे कि पौधों में परिसंचरण तंत्र की क्रियाविधि और पौधों में...

Read more
बायोलॉजी

श्वसन तन्त्र | Respiratory System | मानव श्वसन तंत्र (Human Respiratory System)

August 24, 2022
0

इस आर्टिकल में हम जानेगे की श्वसन तंत्र यानी Respiratory System क्या होता है, मानव...

Read more
Load More

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

Copyright @2021

No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
  • Science For SSC

Copyright @2021