What is Vapourisation ?
परिभाषा
जब किसी द्रव को खुले पात्र में रखा जाता है तो उसकी खुली सतह से द्रव के अणु धीरे-धीरे वाष्पीकृत होकर वायु में मिल जाते हैं। इस क्रिया को ‘वाष्पीकरण‘ या ‘वाष्पन‘ कहते हैं l
अर्थात पदार्थ प्रत्येक ताप पर अपनी द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में परिवर्तित होता रहता है । द्रव अवस्था से वाष्प में परिवर्तित होने की इस प्रकिया को ‘वाष्पीकरण’ कहते हैं।
ऊष्मा’ या ‘वाष्पन ऊष्मा
किसी द्रव को स्थिर ताप पर वाष्पीकृत होने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे वाष्पीकरण की ‘ऊष्मा’ या ‘वाष्पन ऊष्मा’ कहते हैं।
वाष्पीकरण दो प्रकार के होते हैं: वाष्पीकरण (Vaporization) और उबलना (Boiling) वाष्पीकरण एक सतह की घटना (surface phenomenon) है, जबकि उबालना एक विस्तृत घटना (bulk phenomenon) है।
वाष्पीकरण द्रव के सतह से प्रारम्भ होता है। वाष्पीकरण में द्रव के अणु जिनकी ऊर्जा सामान्य से अधिक होती है द्रव की सतह छोड़कर चले जाते हैं, जिससे द्रव का ताप गिर जाता है।
द्रव का वाष्पीकरण वायुमण्डल में उपस्थित वाष्प की मात्रा, द्रव सतह के क्षेत्रफल तथा द्रव के ताप पर निर्भर करता है। यदि वायुमण्डल में वाष्प की मात्रा अधिक होती है तो वाष्पीकरण घट जाता है तथा यदि वाष्प की मात्रा कम होती है तो वाष्पीकरण बढ़ जाता है।
वाष्पीकरण की दर वायुमंडल की आर्द्रता के व्युत्क्रमानुपाती, वायुमंडल के ताप के समानुपाती तथा द्रव के तल के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती के रूप में बढ़ती है।
उदाहरण
गर्मी के दिनों में वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा अत्यन्त कम हो जाने के कारण जल का वाष्पीकरण अधिक होता है, जिससे जल का ताप गिर जाता है, जबकि बरसात के दिनों में वायुमण्डल में जल वाष्प की मात्रा अधिक होने के कारण वाष्पीकरण कम होता है । यही कारण है कि गीले कपड़े गर्मियों में जल्दी व बरसात में देर से सूखते हैं।
बुखार(fever) होने के समय जब रोगी के शरीर का ताप बढ़ जाता है तो उसके माथे पर गीला कपड़ा रख देते हैं तथा शरीर को गीले कपड़े से पोछते हैं। इस प्रकिया में जल शरीर से ऊष्मा लेकर वाष्पीकृत होता है, जिससे शरीर का तापमान कम हो जाता है।