इस आर्टिकल में हम जानेगे की प्लाज्मा झिल्ली या जीवद्रव्य कला या कोशिका कला क्या होती है, प्लाज्मा झिल्ली की संरचना (Structure), इकाई झिल्ली संकल्पना, फ्ल्यूइड मोजैक मॉडल और कोशिका कला या प्लाज्मा झिल्ली के कार्य क्या होता है आदि |
प्लाज्मा झिल्ली या जीवद्रव्य कला या कोशिका कला (Plasma membrane) क्या है
कोशिका कला कोशिका की सबसे बाहरी परत है, जो उसके विभिन्न घटकों को बाहरी वातावरण से अलग करती है। सभी कोशिकाओं (जन्तु कोशिका या पादप या नग्न कोशिकाएँ) के अवयव चारों तरफ से एक अत्यन्त पतली, लचीली तथा अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semi-permeable membrane) घिरे रहते हैं, जिसे जीवद्रव्य कला या कोशिका कला (Plasma membrane) कहते हैं ।
यह झिल्ली जीवद्रव्य कला, जीवद्रव्य तथा ऊतक द्रव्य (Tissue fluid) के बीच एक अवरोधक की तरह कार्य करती है, जिससे होकर कुछ विलयन, विलायक तथा यौगिक अन्दर – बाहर हो सकते हैं। इस तरह यह झिल्ली आवश्यक पदार्थों को अन्दर अथवा बाहर जाने देती है। इसी को चयनात्मक पारगम्यता (selective permeability) कहते हैं। इस दृष्टि से O2 एवं CO2, कोशिका झिल्ली के आर-पार विसरण प्रक्रिया तथा जल परासरण प्रक्रिया द्वारा कोशिका के अन्दर एवं बाहर होते हैं।
प्लाज्मा झिल्ली की संरचना (Structure of Plasma membrane)
रॉबर्टसन (1959) की इकाई झिल्ली अवधारणा के अनुसार सभी कोशिकाएँ दो प्रोटीन परतों (प्रत्येक 20 Å मोटी) के मध्य फॉस्फोलिपिड की परत (35 Å मोटी) की बनी होती है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से प्लाज्मा शिल्ली का अध्ययन करने पर ये तीन स्तरों की बनी दिखाई देती है :
(i) 20 Å मोटी, बाह्य सघन स्तर (External dense layer) – यह प्रोटीन की बनी होती है।
(ii) 35 Å मोटी, मध्य हल्की स्तर (Middle light layer) – यह द्विध्रुवीय तथा फॉस्फोलिपिड की बनी होती है।
(iii) 20 Å मोटी भीतरी सघन स्तर (Internal dense layer) – यह भी प्रोटीन की बनी होती है।
इकाई झिल्ली संकल्पना (Unit membrane concept)
रॉबर्ट्सन (Robertson) ने सन् 1959 में प्लाज्मा झिल्ली के बारे में जो परिकल्पना का प्रतिपादन किया, जिसे ‘इकाई झिल्ली परिकल्पना‘ कहते हैं।
इस परिकल्पना के अनुसार, प्रोटीन-लिपिड तथा प्रोटीन की बनी त्रिस्तरीय प्लाज्मा झिल्ली को ‘इकाई झिल्ली‘ (Unit membrane) कहते हैं और प्लाज्मा झिल्ली के अलावा कोशिका के अन्दर मिलने वाली सभी झिल्लियाँ इकाई झिल्ली की ही बनी होती हैं । रॉबर्ट्सन की परिकल्पना के अनुसार एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम, माइटोकॉण्ड्रिया, लाइसोसोम, गॉल्जीकाय, राइबोसोम, केन्द्रक कला (Nuclear membrane) व लवक आदि भी इसी इकाई झिल्ली के बने होते हैं। इस परिकल्पना के अनुसार, विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं की संरचना प्लाज्मा झिल्ली या इकाई झिल्ली के द्वारा होती है।
फ्ल्यूइड मोजैक मॉडल (Fluid Mosaic Model)
सिंगर एवं निकोलसन (1972) ने तरल मोजैक मॉडल प्रस्तुत किया इसके अनुसार, कोशिका कला में दो प्रकार की प्रोटीन (परिधीय अथवा बाह्य तथा समाकल या आन्तरिक), ग्लाइकोप्रोटीन तथा ग्लाइकोलिपिड होते हैं। सर्वप्रथम प्लाज्मा झिल्ली की त्रिस्तरीय संरचना के बारे में डेनियली तथा डेवसन (Danielli and Davson) ने सन् 1935 में बताया। इसके बाद हार्वे तथा डेनियली ने इसकी रचना का एक कल्पित चित्र बनाया।
कोशिका कला या प्लाज्मा झिल्ली के कार्य (Functions cell membrane or plasma
membrane)
कोशिका झिल्ली लचीली होती है और कार्बनिक अणुओं; जैसे-ग्लाइकोप्रोटीन तथा ग्लाइकोलिपिड की बनी होती है।
कोशिका झिल्ली का लचीलापन एककोशिकीय जीवों में कोशिका के बाह्य वातावरण से भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है। इस प्रक्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा इसी प्रक्रिया द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
पारगम्यता (Permeability)
कोशिका कला पतली, लचीली झिल्ली होती है, जो आवश्यक पदार्थों को कोशिका के अन्दर व बाहर आने-जाने देती है। कोशिका कला की इस प्रवृत्ति को पारगम्यता (Permeability) कहते है। पारगम्यता के आधार पर कोशिका कला के अलग अलग प्रकार होते है –
ऐसी कोशिका कला जो किसी भी पदार्थ को आर-पार नहीं जाने देती, अपारगम्य होती है।
ऐसी कोशिका कला जो कुछ चुने हुये पदार्थों को ही कोशिका के अन्दर एवं बाहर आने-जाने देती है, चयनात्मक पारगम्य कला (Selective permeable membrane) होती है। सभी कोशिका कला इस श्रेणी की ही होती है।
ऐसी कोशिका कला जो जल को कोशिका के अन्दर एवं बाहर आने-जाने देती है, “अर्द्धपारगम्य कोशिका कला होती है।
ऐसी कोशिका कला, जो केवल गैस पदार्थों को कोशिका के अन्दर व बाहर नहीं आने-जाने देती है, अपारगम्य कोशिका कला होती है।
परासरण (Osmosis)
जब कम सान्द्र एवं अधिक सान्द्र विलयनों को अर्द्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा अलग रखा जाता है, तो जल कम सान्द्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयनों की ओर बहता है, तो यह क्रिया परासरण (Osmosis) कहलाती है। जब जल कोशिका के अन्दर से बाहर जाता है, तो बाह्य परासरण (Exosmosis) कहलाता है। जब जल कोशिका में बाहर से अन्दर जाता है, तो अन्तःपरासरण (Endosmosis) कहलाता है
विसरण (Diffusion)
जब कोशिका कला के द्वारा दो अलग-अलग सान्द्रता वाले विलयन अलग होते हैं, तो कम सान्द्रता वाला विलयन अधिक सान्द्रता वाले विलयन की ओर बहने लगता है तथा सान्द्रता समान होने पर बहना बन्द हो जाता है।