What is Cathode Rays ?
जब विसर्जन नलिका (Discharge tube) के सिरों पर 20 किलो वोल्ट का विभवान्तर लगाया जाता है और उसका दाब 0.1 मिलीमीटर पारे के स्तम्भ के बराबर होता है, तो उसके कैथोड से एक इलेक्ट्रॉन पुंज (Beam) निकलने लगता है। इसे ही ‘कैथोड किरणें‘ कहते हैं। अत: कैथोड किरणें केवल उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों का पुंज है। इसके अलावा जब किसी इलेक्ट्रान नलिका में किसी फिलामेंट को गर्म किया जाता है तो इस फिलामेंट से भी इलेक्ट्रान की धारा निकलती है अर्थात इससे भी इलेक्ट्रान उत्सर्जित होते है इन ऋणात्मक कणों को भी कैथोड किरणें कहा जता है।
जब कैथोड किरणें किसी उच्च परमाणु क्रमांक वाली धातु (जैसे—टंगस्टन) पर गिरती हैं, तो ये X-किरणें उत्पन्न करती हैं। कैथोड किरणें कांच पर गिरती हैं, तो प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती हैं।
ये विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विक्षेपित (Deflect) हो जाती हैं।

कैथोड किरणों की खोज किसने की ?
कैथोड किरणें पहली बार 1869 में जर्मन भौतिक विज्ञानी जूलियस प्लकर और जोहान विल्हेम हिट्टोर्फ (Julius Plücker and Johann Wilhelm Hittorf) द्वारा देखी गई थी और 1876 में यूजेन गोल्डस्टीन कैथोडेनस्ट्रालेन (Eugen Goldstein Kathodenstrahlen) द्वारा इन्हें ‘कैथोड किरणों (Cathode Rays)’ का नाम दिया। 1897 में, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जे जे थॉमसन (J. J. Thomson) ने दिखाया कि कैथोड किरणें पहले अज्ञात नेगेटिव आवेशित कणों से बनी थीं, जिसे बाद में इलेक्ट्रॉन नाम दिया गया।
कैथोड-रे ट्यूब
कैथोड-रे ट्यूब (Cathode-ray tubes (CRTs) (सीआरटी) के जरिये एक स्क्रीन पर कोई भी इमेज (छवि) दिखाने के लिए विद्युत या चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा विक्षेपित इलेक्ट्रॉनों के एक केंद्रित बीम का उपयोग करते हैं।
कैथोड किरणों के गुण

1. कैथोड किरणों को केवल गैस का प्रयोग करके पैदा किया जा सकता है।
2. कैथोड किरणों के उत्पादन में विभव का स्रोत प्रेरण कुन्डली होता है, जो कम विभव के सेल से बहुत उच्च विभव प्रदान करता है। यह पारम्परिक प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
3. कैथोड किरणों अदृश्य होती है और सीधी रेखाओं में चलती है।
4. कैथोड किरणों ऋणात्मक होती है, इसलिए ये कैथोड से एनोड की तरफ गमन करती है। ये इलेक्ट्रान की बनी होती है और अपनी सतह के लंबवत निकलती है।
5. कैथोड किरणों का वेग, प्रकाश के वेग का 1/10 गुण होता है।
6. यह किरण विघुत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित होती है।
7. यह गैसो को आयनित कर देती है एवं धातु पर उष्मीय प्रभाव दिखलाती है।
8. यह फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती है।
9. इसकी वेधन क्षमता कम होती है यह धातु की चादर से पार कर जाती है।
10. कैथोड किरणें जब विघुतीय क्षेत्र से होकर लंबवत गुजरती है, तो इसका रास्ता परवलयाकार होता है।