What is Light ?
प्रकाश सरल रेखाओं में चलता है। प्रकाश विद्युत-चुम्बकीय अनुप्रस्थ तरंग है। प्रकाश निर्वात में भी चल सकता है, किन्तु भिन्न-भिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है।
जिन पदार्थों में से प्रकाश बाहर नहीं निकल पाता है उनको अपारदर्शी पदार्थ कहते हैं।
कुछ पदार्थों (तेल लगे हुए कागज, घिसे हुए कांच) में से प्रकाश का कुछ अंश बाहर निकल जाता है, ऐसे पदार्थों को पारभासी पदार्थ कहा जाता है। इसका तरंग दैर्ध्य 3,900A से 7,800A के बीच होता है। (1A= 10-10 मीटर)।
प्रकाश का विद्युत-चुम्बकीय तरंग सिद्धान्त प्रकाश के केवल कुछ प्रमुख गुणों की ही व्याख्या कर पाता है, जैसे—प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन, सीधी रेखा में चलना, विवर्तन, व्यतिकरण व ध्रुवण।
प्रकाश के कुछ गुण ऐसे भी हैं जिनकी व्याख्या यह तरंग सिद्धान्त नहीं कर पाता है। इनमें प्रमुख हैं—
प्रकाश-विद्युत प्रभाव (Photoelectric effect) तथा कॉम्पटन प्रभाव (Compton effect)।
इन प्रभावों की व्याख्या आइन्सटीन द्वारा प्रतिपादित प्रकाश के फोटॉन सिद्धान्त द्वारा की जाती है। इस सिद्धान्त के अनुसार, प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डलों या पैकटों के रूप में चलता है जिन्हें ‘फोटॉन’ (Photon) कहते हैं। वास्तव में ये दो प्रभाव प्रकाश की कण प्रकृति (Particle nature) को प्रकट करते हैं।
प्रकाश के कण फोटॉन साधारण धूल के कणों की भांति सीमित दिक्-काल (time period) में नहीं रहते। फोटॉन ऊर्जा कण है जिसकी ऊर्जा का मान उससे सम्बद्ध विद्युत-चुम्बकीय तरंग की आवृत्ति को एक नियतांक h जिसे प्लांक नियतांक कहते हैं से गुणा करके प्राप्त होती है।
प्रकाश की दोहरी प्रकृति (Dual Nature of Light)
आज प्रकाश को कुछ घटनाओं में तरंग और कुछ घटनाओं में कण माना जाता है अर्थात् प्रकाश कणों की बौछार (Shower of particles) भी है और तरंग भी है। कुछ घटनाओं (Phenomena) में उसकी तरंग प्रकृति प्रबल होती है (कण प्रकृति दबी रहती है) और कुछ में प्रकाश की कण प्रकृति स्पष्टत: उभरकर आती है और तरंग प्रकृति दबी रहती है। इसी को प्रकाश की दोहरी प्रकृति कहते हैं।
प्रकाश निर्वात में भी गमन करता है। इसकी चाल निर्वात में अन्य माध्यमों की तुलना में सबसे अधिक होती है।
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल :
माध्यम – प्रकाश की चाल (सी./सेकण्ड)
- निर्वात – 3.00 x 108
- पानी – 2.25 x 108
- कांच – 2.00 x 108
- तारपीन का तेल – 2.04 x 108
- नाइलॉन – 1.96×108
प्रकाश की उत्पत्ति के मुख्य सिद्धान्त
- कणिक सिद्धान्त—न्यूटन
- तरंग सिद्धान्त-हाइजिन
- फोटोन सिद्धान्त—आइन्स्टीन
छाया (Shadow)
जब प्रकाश के मार्ग में कोई अपारदर्शी वस्तु आ जाती है, तो वह प्रकाश की किरणों को रोक लेती है क्योंकि प्रकाश की किरणें सीधी रेखा में ही चल सकती हैं। अत: यदि आगे कोई पर्दा हो तो पर्दे के कुछ भाग पर, प्रकाशित भाग पर अपरादर्शी वस्तु के बीच में आ जाने के कारण प्रकाश की किरणें नहीं पहुंच पाती फलत: पर्दे पर प्रकाशित भाग के बीच कुछ ऐसा होता है जो काला दिखता है क्योंकि वहां अंधकार रहता है। इस भाग को छाया कहते हैं। छाया की लम्बाई तथा आकार (1) प्रकाश के उद्गम. (2) अपारदर्शी वस्तु के आकार तथा (3) प्रकाश के उद्गम एवं वस्तु के बीच की दूरी पर निर्भर करता है।