What is Valency ?
तत्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन करने की क्षमता को ही ‘संयोजकत्ता’ कहते है।
किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु की बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, सोडियम परमाणु एक इलेक्ट्रॉन का त्यागकर अक्रिय गैस निऑन जैसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था प्राप्त करता है।
अत: सोडियम (Na) की संयोजकता 1 होती है। इसी प्रकार क्लोरीन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर अक्रिय गैस ऑर्गन जैसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था प्राप्त करता है। अत: क्लोरीन की संयोजकता 1 होती है।
विद्युत संयोजन बंधन या आयनिक बंधन (Electrovalent or lonic Bond)
जब एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण होने से उन दोनों परमाणुओं के बीच बंधन बनता है, तो उसे ‘विद्युत संयोजन बंधन’ कहते हैं। इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण इस प्रकार होता है, कि प्राप्त आयनों की बाह्यतम कक्षाओं की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था अक्रिय गैसों की भांति स्थायी बन जाती है। उदाहरणार्थ, सोडियम क्लोराइड का बनना।
विद्युत संयोजन (Electrovalent Compounds)
जिन रासायनिक यौगिक के अणु में विद्युत संयोजन बंधन या आयनिक बंधन रहता है। उन्हें विद्युत संयोजन या आयनिक यौगिक कहते है। जैसे—NaCI, MgCI, CaO, आदि।
सहसंयोजन बंधन (Covalent Bond)
जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फलस्वरूप रासायनिक बंधन बनता है, तब उसे सहसंयोजक बंधन कहते हैं। सहसंयोजन बंधन के बनने में दोनों परमाणु इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी इस प्रकार से करते हैं, कि निर्मित अणु में प्रत्येक परमाणु एक अक्रिय गैस का स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेता है।
सहसंयोजक यौगिक
दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फलस्वरूप बने रासायनिक यौगिक को ‘सहसंयोजक यौगिक’ कहते हैं। सहसंयोजक यौगिक साधारण अवस्था में गैस या द्रव या वाष्पशील ठोस होते हैं।