एक्स-किरणें (X-rays)
इन किरणों को उनके अन्वेषक के नाम पर ‘रॉन्टजन किरणें’ भी कहते हैं। ये तीव्रगामी इलेक्ट्रॉनों के किसी भारी लक्ष्य वस्तु पर टकराने से उत्पन्न होती हैं। इनकी भेदन क्षमता गामा-किरणों से कम होती है।
चिकित्सा में इनका उपयोग टूटी हड्डी तथा फेफड़ों के रोगों का पता लगाने में किया जाता है। इनका उपयोग जासूसी तथा इंजीनियरी में भी किया जाता है। X-किरणों की खोज सन् 1895 में विल्हम के रॉन्टजन ने की थी।
उपयोग
चिकित्सीय उपयोगों के अलावा भी एक्सरे का अनेकों प्रकार से उपयोग किया जाता है। एक्सरे के विशिष्ट गुणों के कारण उनका उपयोग विस्तृत रूप से विज्ञान की अनेक शाखाओं तथा विभिन्न उद्योगों में होता आ रहा है। उद्योगों में, विशेषत: निर्माण तथा निर्मित पदार्थो के गुणों के नियंत्रण में, एक्सरे का बहुत उपयोग होता है। निर्मित पदार्थो की अंतस्य त्रुटियाँ एक्सरे फोटोग्राफों द्वारा सरलता से ज्ञात की जा सकती हैं। विमान तथा उसी प्रकार के साधनों के यंत्रों में अति तीव्र वेग तथा चरम भौतिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता हैं; ऐसे यंत्रों के निर्माण में प्रत्येक अवयव अंतर्बाह्य निर्दोष तथा यथार्थ होना चाहिए। ऐसे प्रत्येक अवयव की परीक्षा एक्सरे से की जाती है और सदोष अवयवों का त्याग किया जाता है। धातु एक्सरे का अवशोषण करते हैं, अत: धातुओं के अंतर्भागों की परीक्षा के लिए मृदु एक्सरे अनुपयुक्त होते हैं। विशाल आकार के धात्वीय पदार्थो के लिए अत्युच्च विभव के एक्सरे की आवश्यकता होती है।
धातु विज्ञान तथा धातुगवेषणा में एक्सरे अत्यंत उपयोगी हैं। धातु भी मणिभीय होते हैं, किंतु इनके मणिभ सूक्ष्म होते हैं और वे यथेच्छ प्रकार से स्थापित रहते हैं, अत: धातुओं की लावे-प्रतिमा में सामान्यत: संकेंद्र वर्तुल रहते हैं। प्रत्येक वर्तुल एक समान तीव्रता का होता है, किंतु किसी भौतिक क्रिया से कणों के आकारों में वृद्धि हो जाने पर इन वर्तुलों में बिंदु भी आते हैं। अत: एक्सरे व्याभंग द्वारा इसका ठीक ठीक पता चल जाता है कि धात्वीय मणिभों के कण किस प्रकार के हैं और उनका आकार आदि कैसा है। इस ज्ञान का धातुविज्ञान में अत्यंत महत्त्व है। धातु के पदार्थ बनाने के समय ऊष्मा के कारण उनमें अंतर्विकृति आ जाती है। धातु को मोड़ने से भी उसमें अंतर्विकृति हो जाती है। ऐसी विकृतियों का विश्लेषण एक्सरे से हो सकता है। इस प्रकार विशिष्ट गुणों से युक्त निर्दोष धातु प्राप्त करने में एक्सरे का विशेष उपयोग होता है।
एक्सरे के अन्य उपयोगों में एक्सरे सूक्ष्मदर्शी उल्लेखनीय है। एक्सरे के तरंगदैर्घ्य प्रकाश के तरंगदैर्घ्यो से सूक्ष्म होते हैं, अत: एक्सरे सूक्ष्मदर्शी को प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से अधिक प्रभावशाली होना चाहिए। 1948 में एक्सरे को केंद्रित करने के कर्कपैट्रिक के प्रयत्न अंशत: सफल हुए। इस रीति से तथा अन्य रीतियों से प्रतिबिंब का आवर्धन करने के प्रयत्न अब प्रायोगिक अवस्था पार कर चुके हैं और अनेक निर्माताओं द्वारा निर्मित कई प्रकार के एक्सरे सूक्ष्मदर्शी सुलभ हैं।
प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से जिन बातों का पता नहीं चल पाता उनका ज्ञान सरलतापूर्वक एक्सरे सूक्ष्मदर्शी से हो जाता है।