घर्षण बल
जब मेज पर रखी किसी वस्तु को धीरे से धक्का देते हैं तो वह आगे नहीं बढ़ती है। इसका अर्थ है, कि सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्य एक प्रकार का बल कार्य करता है जो दोनों वस्तुओं के बीच आपेक्षिक गति का विरोध करता है। यह बल ही ‘घर्षण बल’ कहलाता है। इसे ही ‘घर्षण’ कहते हैं। इसकी दिशा सदैव वस्तु की गति की दिशा के विपरीत होती है।
घर्षण का मुख्य कारण वस्तुओं की सतह का खुरदरा होना है। यदि हम ध्यान से सड़क, मेज, कैरम-बोर्ड, आदि की सतह को देखें तो हमें ज्ञात होगा कि इनकी सतह चिकनी तथा सपाट नहीं होती l लेकिन बहुत अधिक चिकनी तथा सपाट सतहों के मध्य भी घर्षण होता है। इसका कारण है, कि जब दो अणुओं के मध्य बहुत कम दूरी होती है तो वे परस्पर आकर्षण बल लगाते हैं और गति का विरोध करते हैं l
घर्षण बल के उपयोग
- घर्षण बल के कारण ही मनुष्य सीधा खड़ा रहता है।
- यदि सड़कों पर घर्षण न हो तो पट्टा मोटर के पहिए को नहीं घुमा सकेगा।
- यदि पट्टा तथा पुली के बीच घर्षण न हो तो पट्टा मोटर के पहिए को नहीं घुमा सकेगा।
- घर्षण बल न होने पर हम केले के छिलके तथा बरसात में चिकनी सड़क पर फिसल जाते हैं।
घर्षण से हानि
सभी प्रकार की मशीनों में घर्षण के कारण अति ऊष्मा पैदा होती है और मशीन के चल हिस्से (Moving parts) घिस जाते हैं।
उदाहरण
वैसे पदार्थ जो दो सतहों के बीच घर्षण कम करते हैं ‘स्नेहक (Lubrication)’ कहलाते हैं तथा घर्षण को स्नेहकों की सहायता से कम करने की विधि को स्नेहन कहा जाता है। तेल, ग्रीज, आदि उपस्नेहकों से घर्षण का मान न्यूनतम हो जाता है। तेल, वैसलीन, आदि पदार्थ सस्पर्श-तलों के बीच एक पतली परत बना देते हैं, जिसके कारण रगड़ खाने वाले दोनों तल सीधे सम्पर्क में नहीं आते। फलतः रगड़ भी कम होती है और पुर्जे भी जल्दी नहीं घिसते हैं।
घर्षण कम करने के लिए घिसने वाली दो सतहों के बीच धातु की गोली डाली जाती है। फलत: विसी घर्षण का परिवर्तन लोटनिक घर्षण में हो जाता है। हम जानते हैं कि लोटनिक घर्षण का मान विसी घर्षण से कम होता है। अत: बॉल बेयरिंग के प्रयोग से घर्षण का परिमाण घट जाता है। साइकिल के चक्के, हैण्डिल, पैडिल, आदि में इस प्रकार की बॉल बेयरिंग विधि का प्रयोग होता है।