What is Algae? Definition, Classification and Importance
शैवाल को सामान्यतया प्रोटिस्टा जगत (Kingdom Protista) के अन्तर्गत रखा जाता है। अधिकांश शैवालों के लक्षण पौधों से मिलते-जुलते है; जैसे – पर्णहरिम की उपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा स्वयं भोजन निर्माण करना। उपर्युक्त सारणी के आधार पर हम कह सकते हैं कि शैवाल का वर्गीकरण मोनेरा (Monera), प्रोटिस्टा (Protista) एवं पादप (Plantae) जगत के अन्तर्गत किया गया है। पादप जगत के अन्तर्गत शैवालों के तीन समूह निम्नलिखित हैं :
लाल शैवाल (Red Algae)
इसकी कोशिकाओं में (r-फाइकोइरिथ्रिन – R–ph8ycoerythrin) नामक लाल वर्णक अधिकता से मिलते हैं। इसकी कोशिका भित्ति में कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate) होता है, जिससे इसका आवरण कठोर एवं पृथक होता है। अधिकांश लाल शैवाल समुद्री होते हैं परन्तु कुछ शैवाल मीठे पानी जैसे नदी, तालाब, झील आदि में भी पाए जाते हैं। समुद्री तट पर उच्च ज्वार तथा निम्न ज्वारीय तलों के बीच अधिकांशतया लाल शैवाल ही होती है।
भूरा शैवाल (Brown Algae)
इस शैवाल का रंग भूरा फ्यूकोजैन्थिन (Fucoxanthin) नामक वर्णकों के कारण होता है। इन्हें पादप जगत के फीयोफाइटा (Pheophyta) में रखा गया है। भूरे शैवाल अधिकांशतया समुद्री तथा बहुकोशिकीय होते हैं। इस वर्ग में समुद्री घास (sea grass) आते हैं।
हरे शैवाल (Green Algae)
स्थल पर सबसे पहले पौधों का विकास हरे शैवालों से ही हुआ है। हरे शैवाल में क्लोरोफिल (chlorophyll) -a तथा 6 और कुछ कैरोटिनॉइड क्लोरोप्लास्ट (carotenoids chloroplasts) की ग्रेना में उपस्थित रहते हैं। इसमें सेलुलोज (Cellulose) की बनी कोशिका भित्ति होती है। तथा खाद्य पदार्थों का संचय स्टार्च के रूप में करते हैं। स्पाइरोगाइरा (Spirogyra) एक तन्तुमयी हरा शैवाल (Green Algae) है, जो अलवणी जल में पाया जाता है।
स्मार्ट फैक्ट्स – शैवाल या एल्गी (Algae)


शैवालों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Algae)
- भूरे शैवाल : जैसे – लेमिनेरिया (Laminariales), फ्यूकस (Fucales (Fucoids) एवं एकलोनिया, से आयोडीन का निर्माण होता है।
- अगार (Agar) – अगार का उत्पादन लाल शैवाल से होता है, जो जेलिडियम (Gelidium) और ग्रेसीलेरिया (Gracilaria) नामक शैवाल से प्राप्त होता है।
- शैवालों से प्राप्त एलीजन का उपयोग टाइप राइटरों में तथा अज्वलनशील फिल्मों के निर्माण में प्रयुक्त होता है।
- भूरे शैवालों में पोटैशियम क्लोराइड होता है, जिसके कारण इससे पोटैशियम लवण प्राप्त होते हैं।
- पोरफाइरा (Porphyra), अल्वा (Ulva), सरगासम (Sargassum), नॉस्टॉक (Nostoc) आदि शैवाल का उपयोग भोजन के रूप में होता है।
- शैवाल भोजन तथा ऑक्सीजन का स्रोत होने के कारण अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा उपयोग होते हैं। इसमें विटामिन तथा क्लोरेला नामक प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (N2), जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है में नॉस्टॉक ( (Nostoc), एनाबीना (Anabaena) जैसे नीले-हरे शैवाल प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- मलेरिया उन्मूलन के सम्बन्ध में कुछ शैवाल; जैसे- नाइट्रेला और कारा प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- कैराजीनिन कोन्ड्रस क्रिस्पस (carrageen Chondrus crispus) नामक लाल शैवाल से प्राप्त होता है, यह आइसक्रीम, जैली, चॉकलेट आदि में प्रयुक्त होता है।
हानिकारक शैवाल (Harmful Algae)
कुछ शैवाल; जैसे-माइक्रोसिस्टिस, ऑसीलेटीरिया इत्यादि जल में जहर पैदा कर देते हैं। इससे जल प्रदूषण बढ़ता है।
सिफेल्यूरोस नामक शैवाल चाय के पौधों पर ‘लाल किट्ट’ (red rust) नामक रोग उत्पन्न करता है।
शैवाल पीने के पानी को दूषित कर देते हैं।
पत्थर में काई के रूप में जमकर फिसलन पैदा करते हैं।
लाइकेन
लाइकेन शैवाल तथा कवक से बने होते हैं, ये सहजीवी होते हैं। शैवालांश (phycobiont) प्रकाश-संश्लेषण, जबकि कवकांश (mycobiont) शुष्कन से रक्षा तथा अवशोषण का कार्य करता है ये नंगी चटटानों पर सबसे पहले उगते हैं। रोसेला टिक्टोरिया लाइकेन से लिटमस प्राप्त होता है।