What is Virus ?
विषाणु (वायरस) अतिगृश्य, परजीवी, अकोशिकीय और विशेष न्यूक्लियोप्रोटीन (Nucleoproteins) कण हैं। ये सजीव एवं निर्जीव के मध्य की कड़ी है। वायरस या विषाणु बहुत छोटे रोगाणु होते हैं, जो प्रोटीन की खोल के अंदर अनुवांशिक सामग्री से बने होते हैं। एक वायरस की अनुवांशिक सामग्री आरएनए या डीएनए हो सकती है, जो आम तौर पर प्रोटीन, लिपिड (Lipid) या ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins) की खोल से घिरी रहती है या तीनों का थोड़ा-थोड़ा संयोजन (Combination) होता है।
वायरस के अस्तित्व की खोज रूसी वैज्ञनिक इवानोस्की ने 1892 में तम्बाकू के पौधों से चितेरी रोग के कारण का निरीक्षण करते समय की थी। 1898 में फ्रेडरिक लोफ्लर और पॉल फ्रॉश ने शोध में देखा कि पशुओं में पैर और उनके मुंह की बीमारी का कारण कोई बैक्टीरिया से भी छोटा संक्रामक है। यह वायरस की प्रकृति का पहला संकेत था l विषाणु (वायरस) एक ऐसा जेनेटिक तत्व जो जीवित और निर्जीव अवस्थाओं के बीच में कहीं आता है।
विषाणु (वायरस) की विशेषताएं क्या है ?
What are the characteristics of Virus ?


ये नाभिकीयअम्लऔरप्रोटीन(न्यूक्लिओप्रोटीन्स) से मिलकर बनते हैं, जो जन्तुओं व पादपों के गुणसूत्रों के न्यूक्लिओप्रोटीन्स के समान होते हैं। ये जन्तुओं, पेड़-पौधों व वैक्टीरिया सभी में पाये जाते हैं।
वायरस बेहद छोटे, व्यास में लगभग 20 – 400 नैनोमीटर तक होते हैं। मिमिवायरस के रूप में जाना जाने वाला सबसे बड़ा वायरस 500 नैनोमीटर के व्यास तक होता है।
शरीर के बाहर तो ये मृत-जैसे होते हैं लेकिन शरीरकेअंदरजीवितहोजाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक वायरस बिनाकिसीसजीवमाध्यमकेपुनरुत्पादन नहीं कर सकता है।
वायरस अन्य जीवों से अलग स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में नहीं रह सकते क्योंकि उन्हें पुनरुत्पादन के लिए एक जीवित कोशिका पर निर्भर रहना पड़ता है।
यह सैकड़ों वर्षों तक सुसुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित माध्यम या धारक के संपर्क में आता है, तो उस जीव की कोशिका को भेद कर अन्दर चला जाता है और जीव को बीमार कर देता है l एक बार जब वायरस जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिकाकेमूलआरएनएएवंडीएनएकीजेनेटिकसंरचनाकोअपनीजेनेटिकसूचनासेबदलदेता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। जिससे वायरस का शरीर में तेजी से प्रसार होता है l
वायरस कोशिकाएं नहीं बल्कि गैर-जीवित, संक्रामक कण होते हैं। वे विभिन्न प्रकार के जीवों में कैंसर समेत कई बीमारियों को जन्म देने में सक्षम हैं।
वायरल रोग जनक न केवल मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित करते हैं, बल्कि पौधों, बैक्टीरिया इत्यादि को भी संक्रमित करते हैं। ये बेहद छोटे कण बैक्टीरिया से लगभग 1000 गुना छोटे होते हैं और लगभग किसी भी पर्यावरण में पाए जा सकते हैं।
अधिकांश वायरस जन्तुओं व पौधों में घातक रोग उत्पन्न करते हैं। इनको क्रिस्टलीय अवस्था में अलग करके मंचित किया जा सकता है, किन्तु ये केवल जीवित कोशिका के अंदर वृद्धि कर सकते हैं।
वे जीवित, सामान्य कोशिकाओं को कमजोर करते है और उन कोशिकाओं का उपयोग अपने जैसे अन्य वायरस की संख्या बढ़ाने के लिए करते हैं।
वायरस कोशिकाओं को मार सकता हैं, उन्हें क्षति पहुंचा सकता हैं या उनकी जेनेटिक संरचना को बदल सकते हैं । विभिन्न वायरस आपके शरीर में कुछ कोशिकाएं जैसे आपके लिवर, श्वसन तंत्र या खून पर हमला करते हैं और स्वस्थ शरीर को बीमार कर देते है ।
कुछ सबसे साधारण या सबसे प्रसिद्ध वायरस में ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस (Human Immunodeficiency Viruses – HIV-एचआईवी) जो एड्स का कारण बनता है, हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (Herpes Simplex Virus), जो ठंडे घावों, चेचक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis (MS)) का कारण बनता है और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (Human papillomavirus (HPV) जो अब वयस्क महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (CERVIX) के कैंसर का एक प्रमुख कारण माना जाता है, इत्यादि शामिल है।
आम सर्दी जुकाम भी एक वायरस के कारण होता है। चूंकि अभी भी नए-नए विषाणुओं की उत्पत्ति का मुद्दा रहस्य से घिरा हुआ है, इन वायरस या विषाणु के कारण होने वाली बीमारियां और उन्हें ठीक करने के तरीके अभी भी विकास के शुरुआती चरणों में हैं।
निर्जीव जैसे लक्षण
विषाणु कोशिकीय रूप में नहीं होते हैं तथा इनमें कोशिकीय अंग नहीं पाये जाते।
इनमें पोषण, श्वसन, बुद्धि, उत्सर्जन और उपापचय क्रियाएँ नहीं होती है।
इनके रवे को क्रिस्टल बनाकर निर्जीव पदार्थ की भाँति बोतलों में भरकर वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
प्रत्येक वाइरस प्रोटीन खोल (capsid) में बंद RNA या DNA का अणु होता है।
सजीव जैसे लक्षण
विषाणु में न्यूक्लिक अम्ल का द्विगुणन होता है। – किसी जीवित कोशिका में पहुँचते ही ये सक्रिय हो जाते हैं और एन्जाइमों का संश्लेषण करने लगते हैं।
सजीव कोशिकाओं की भाँति इनमें भी RNA अथवा DNA मिलता है।
विषाणु (Virus) के प्रकार – (Type of Virus)
वायरस को उसके होस्ट के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इसी आधार पर होम्स ने 1948 में वायरस को तीन समूहों में विभाजित किया है। वे हैं:
जन्तु विषाणु (Animal Virus – एनिमल वायरस)
वायरस जो मनुष्य सहित पशुओं की कोशिका को संक्रमित करते हैं, उन्हें जन्तु विषाणु कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza Virus), रैबीज वायरस (Rabies Virus), मम्प्स वायरस (Mumps Virus) (जिससे गलसुआ रोग होता है), पोलियो वायरस (Polio Virus), स्माल पॉक्स वायरस (Small Pox Virus), हेपेटाइटिस वायरस (Hepatitis Virus), राइनो वायरस (Rhino Virus) (सामान्य सर्दी जुकाम वाला वायरस) आदि। इनकी आनुवंशिक सामग्री आरएनए या डीएनए होता है।

पादप विषाणु (प्लांट वायरस – Plant Virus)
पौधों को संक्रमित करने वाले वायरस को पादप विषाणु कहा जाता है। इनकी अनुवांशिक सामग्री आरएनए होता है जो प्रोटीन की खोल में रहता है।
उदाहरण के लिए, तंबाकू मोजेक वायरस (Tobacco Mosaic Virus), पोटैटो वायरस (आलू विषाणु), बनाना बंची टॉप वायरस (Banana bunchy top Virus), टोमॅटो येलो लिफ कर्ल वायरस (Tomato Yellow Leaf Curl Virus) (टमाटर की पत्ती ), बीट येलो वायरस (Beat Yellow Virus) और टर्निप येलो वायरस (Turnip Yellow Virus) इत्यादि हैं।

जीवाणुभोजी (Bacteriophage – बैक्टीरियोफेज)
वायरस जो जीवाणु या बैक्टीरिया की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं उन्हें बैक्टीरियोफेज या बैक्टीरिया खाने वाले (जीवाणुभोजी) के रूप में जाना जाता है। उनमें आनुवांशिक सामग्री के रूप में डीएनए होता है।
बैक्टीरियोफेज की कई किस्में हैं। आम तौर पर, प्रत्येक प्रकार का बैक्टीरियोफेज केवल एक प्रजाति या बैक्टीरिया के केवल एक स्ट्रेन पर हमला करता है।

वायरस कैसे फैलता है – How the Virus Spreads?

वायरस पर्यावरण से या अन्य व्यक्तियों के माध्यम से मिट्टी से पानी में या हवा में पहुंच कर नाक, मुंह या त्वचा में किसी भी कट के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और संक्रमित करने के लिए किसी कोशिका की तलाश करते हैं।
उदाहरण के लिए एक सर्दी जुकाम या फ्लू का विषाणु उन कोशिकाओं को target करता है जो श्वसन (यानी फेफड़ों) या पाचन नली (यानी पेट) में होती हैं। एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस) जो एड्स का कारण होता है, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं (एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं जो संक्रमण और बीमारी से लड़ती हैं) पर हमला करता है।
विषाणु और जीवाणु संक्रमण दोनों मूल रूप से मनुष्यों में एक ही तरह से फैलते हैं।
वायरस मनुष्यों में निम्नलिखित कुछ तरीकों से फैल सकते हैं –
वायरस किसी अन्य व्यक्ति के हाथ को छूने या हाथ मिलाने से फैल सकता है। यदि कोई व्यक्ति गंदे हाथों से भोजन को छूता है तो वायरस आंत में भी फैल सकता है।
जिस व्यक्ति को सर्दी जुकाम है उस व्यक्ति की खांसी या छींक से वायरस संक्रमण फैल सकता है।
शरीर के तरल पदार्थ जैसे कि खून, लार और वीर्य और ऐसे ही अन्य तरल पदार्थों के इंजेक्शन या यौन संपर्क द्वारा संचरण से वायरस, विशेष रूप से हेपेटाइटिस या एड्स जैसे वायरल संक्रमण अन्य व्यक्तियों में फैल सकते हैं।
Corona Virus – Covid -19 (कोरोना वायरस) क्या है ?
कोरोनावायरस रोग 2019 से एक नई उभरती हुई संक्रामक बीमारी है जो वर्तमान में दुनिया भर में फैल गई है। यह महामारी दिसंबर 2019 में आए एक नए कोरोनावायरस के कारण हुई थी, और अब यह एक वैश्विक महामारी (Global Pandemic) में बदल गई है।
Covid – 19 बीमारी नोवेल कोरोनावायरस (Novel Coronavirus), सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (Severe Acute Respiratory Syndrome Coronavirus 2 (SARS-CoV-2) की वजह से होती है l यह कोरोनावायरस की β family से संबंधित है।

यह मनुष्यों को संक्रमित करने वाला सातवां ज्ञात कोरोनावायरस है; इनमें से चार कोरोनावायरस (229E, NL63, OC43, और HKU1) केवल सामान्य सर्दी के मामूली लक्षण पैदा करते हैं। इसके विपरीत, अन्य तीन, SARS-CoV, MERS-CoV, और SARS-CoV-2, क्रमशः 10%, 37% और 5% की मृत्यु दर के साथ गंभीर लक्षण और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
SARS-CoV-2 का स्पाइक (S) प्रोटीन, जो Receptor Recognition और कोशिका झिल्ली संलयन प्रक्रिया (Cell Membrane Fusion Process) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l
यह दो सबयूनिट्स, S1 और S2 से बना है। S1 सबयूनिट में एक रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (Receptor-Binding Domain) होता है जो होस्ट रिसेप्टर एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम 2 (Angiotensin-Converting Enzyme 2) को पहचानता है और बांधता है, जबकि S2 सबयूनिट दो-हेप्टैड रिपीट डोमेन के माध्यम से छह-हेलिकल बंडल (Six-Helical Bundle) बनाकर वायरल सेल मेम्ब्रेन फ्यूजन (Viral Cell Membrane Fusion) की मध्यस्थता करता है।
कोरोना कैसे फैलता है ?
कोरोना आमतौर पर एक संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदों (droplets) के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में फैलता है l जब किसी संक्रमित व्यक्ति को खांसी या छींक आती है तो ये बूंदें जो लोग उनके पास है, उन लोगों के मुंह या नाक में जा सकती हैं । फैलने की संभावना तब अधिक होती है जब लोग एक दूसरे के साथ संपर्क में होते हैं (जब लगभग 6 फीट से कम दूरी होती है)।
इसमे यह भी संभव होता है कि कोई संक्रमित व्यक्ति किसी सतह या वस्तु को छूता है तो वह वायरस रह जाते है और बाद में एक स्वस्थ उस जगह को छूकर अपने हाथ मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी फैलता है । फिर भी इसे वायरस फैलने का मुख्य कारण नहीं माना जा रहा है और इस पर अभी research चल रहे है ।