What is Protista Kingdom ? (in Hindi)
प्रोटिस्टा जगत के अन्तर्गत सभी एककोशिकीय (Unicellular) यूकैरियोटिक (Eukaryotic) मुख्यतया जलीय यूकैरियोटिक आते हैं; जैसे – एककोशिकीय शैवाल, प्रोटोजोआ डाइटम इत्यादि। इन्हें प्रजीव (Parasites) अथवा प्रोटिस्ट भी कहते है l यूकेरियोट्स ऐसे जीव हैं जिनकी कोशिकाओं में एक नाभिक होता है जो एक परमाणु से घिरा रहता है।
ये जीव अपने सारे कार्य जो कि जीवन यापन के लिए आवश्यक होते हैं एक कोशिका(single cell) से ही संपन्न करते हैं यानी शारीरिक कार्य के हिसाब से सभी प्रोटिस्टा जगत के जीव बहुकोशिकीय जीवो के शरीर के जैसे ही होते हैं। इस जगत को प्रोकैरियोटिक जीवो वाले जगत मोनेरा (Monera) एवं यूकैरियोटिक बहुकोशिकीय जीवो (पादप तथा प्राणी) वाले जगतो के बीच में रखा जाता है।
मोनेरा (Monera Kingdom) एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीवों से बना है। अन्य चार kingdoms, प्रोटिस्टा, कवक, प्लांटे और एनिमिया सभी यूकेरियोटिक जीवों (Eukaryotic Organisms) से बने हैं। वैज्ञानिक रॉबर्ट विटाकर (Robert H. Whittaker) द्वारा सन 1969 में प्रस्तावित प्रख्यात पांच जगत वर्गीकरण में सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों, एककोशीय निवही या कोलोनियल जीवों व ऐसे जीवों को जो ऊतक नहीं बनाते,को ‘प्रॉटिस्टा’ के रूप में वर्गीकृत किया गया l यह सभी यूकैरियोटिक तो हैं लेकिन इनके जीवन चक्र,पोषण स्तर, गमन या चलन की विधियां व कोशिकीय सरंचना भिन्न भिन्न हैं।
इनमें प्रजनन लैगिक और अलैगिक दोनों ही प्रकार का होता है। प्रोटिस्टा की एक खास विशेषता है कि यह प्रोकैरियोट और आधुनिक यूकैरियोट (पादप तथा प्राणी) के मध्य कड़ी का कार्य करता है। जन्तु एवं पौधे के मध्य आने वाला युग्लिना भी इसी जगत का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है|
पादपों की भाँति अनेक प्रोटिस्टा प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। वस्तुतः पादपों और जन्तुओं की भांति इनकी कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के उतकों में संगठित नहीं होती है।
प्रोटिस्ट के अध्ययन को प्रोटिस्टोलॉजी (Protistology) कहा जाता है

संरचना (Structure of Protists)

प्रोटिस्टा में कोशिकाएँ एक कला द्वारा घिरी होती है। प्रकाश-संश्लेषी प्रोटिस्टा कोशिका में पर्णहरिम होते हैं प्रत्येक कोशिका में माइटोकॉण्ड्रिया, गॉल्जीकाय, केन्द्रक, गुणसूत्र आदि अंग कलाओं से घिरे हुए होते हैं। प्रोटिस्टा में गमन कशाभिका, रोमाभि और कूटपादों द्वारा होता है। इस जगत के प्राणी मृतोपजीवी या परजीवी अथवा प्रकाश संश्लेषण क्रिया के द्वारा अपना भरण पोषण करते है |
जनन (Reproduction system in Protists)
प्रोटिस्टा में जनन दो प्रकार की क्रियाओ लैंगिक जनन और अलेंगिक (asexual) जनन द्वारा होता है | लेंगिक प्रजनन के अंतर्गत नर एवं मादा जाइगोट का निर्माण करते है, जो युग्मक संयोजन द्वारा किया जाता है, जिससे अर्धसूत्री विभाजन फलित होता है एवं जीव का विकास सम्भव हो पाता है, जबकि अलेंगिक जनन प्रक्रिया द्विविभाजन प्रणाली द्वारा पूरी होती है, जिसमे पुटी निर्मित करके जीव का जन्म होता है|
प्रोटिस्टा जीवो के प्रकार (Type of Protists)

अवपक कवक
इस प्रकार के प्रोटिस्ट जीव प्रकाश संश्लेषण वर्णक (Photosynthesis Pigment) तथा कोशिका भित्ति (Cell Wall) हीन जीव द्रव्य वाले तथा अनियमित आकार के होते हैं। जिसमें कई |केंद्रक पाए जाते हैं। शैशव अवस्था में कोशिका के चारों और भीति का अभाव होता है, लेकिन वयस्क अवस्था में लसलसे (Gluttonous) पदार्थ का एक स्तर कोशिका के चारों ओर बन जाता है। इसी कारण इन्हें अवपक कवक (Depigmented Fungus) कहते हैं। उदाहरण – फाइसेरम (Physarum polycephalum) आदि।
स्वपोषी प्रोटिस्ट (Autotrophic protists)
ऐसे प्रोटिस्ट जो प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्षमता युक्त होते हैं। अथवा इनमें पर्णहरिम (Chlorophyll) तथा दूसरे प्रकाश संश्लेषण वर्णक पाए जाते हैं। स्वपोषी यानी प्रकाश संश्लेषण प्रोटेस्ट के अंतर्गत डाइनोफ्लेजेलेट्स (Dinoflagellates), डाइटम (Diatoms) तथा यूग्नीला (Eugenila) के समान जीव आते हैं।
प्रोटोजोअन (Protozoa) प्रोटिस्ट
इस प्रकार के प्रोटिस्टा जगत के सदस्य अप्रकाश संश्लेषी होते हैं अर्थात इनमें प्रकाश संश्लेषी वर्णक का अभाव होता है। यह एक कोशिकीय परपोषी जन्तुसम (Cellular Host Organism) जीव होते हैं। जन्तुसम पोषण करते हैं यानी यह अपने भोजन को निकलते हैं। इनके एककोशकीय शरीर के चारों तरफ आवरण पाया जाता है। जिसे पैलिकल कहते हैं। उदाहरण – अमीबा, पेरमिसियम। अधिकांश प्रोटोजोआ को नग्न आंखों से नही देखा जा सकता है क्योकिं ये लगभग 0.01-0.05 मिमी के होते हैं, लेकिन इन्हें एक माइक्रोस्कोप की मदद से आसानी से देखा जा सकता है।
प्रोटिस्टा जगत के अंतर्गत आने वाले जीवो के कुछ उदाहरण
Example of some Protists
अमीबा (Amoeba)

अमीबा प्रोटिस्टा जगत का महत्वपूर्ण प्राणी माना जाता है, जो ताल्राबो, झीलों आदि में पाया जाता है| अमीबा के भीतर संचरण के लिए पादाभ उपस्थित रहते है, जिससे ये अपना भोजन प्राप्त करता है | अमीबा के पादाभ इसे भोजन ग्रहण करने में सहायक होते है | अमीबा का कोई मुंह नहीं है; कोशिका की सतह के किसी भी बिंदु यह भोजन ग्रहण करते है और उसे उत्सर्जित करते है । ये भोजन के दौरान, साइटोप्लाज्म के विस्तार खाद्य कणों के चारों ओर प्रवाहित होते हैं, उन्हें घेरते हैं और एक रिक्तिका बनाते हैं जिसमें कणों को पचाने के लिए एंजाइम स्रावित होते हैं।
अमीबा में जनन के लिए द्विविभाजन प्रणाली का उपयोग किया जाता है, अत: इसमें लेंगिक जनन का गुण नहीं पाया जाता है | प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थियों में अमीबा एनसिस्टमेंट (Encystment) द्वारा जीवित रहते हैं l चूँकि अमीबा गोलाकार होता है इसलिय वो अपना अधिकांश पानी खो देता है, और एक सिस्ट झिल्ली को स्रावित करता है जो उसे एक सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करती है l जब पर्यावरण अनुकूल होता, तो उस झिल्ली से अमीबा बाहर निकल जाता है।
एंटअमीबा
इसका आकार व् बनावट अमीबा के समान ही होता है, अधिकांशत: ये प्रदूषित जल में पाए जाते है l इसकी एक साधारण प्रजाति को हिस्टोलिका कहा जाता है | इस प्रदूषित जल के सेवन से कई बीमारियां हो सकती है l
नर एंटअमीबा का आक्रमण सिस्ट के द्वारा फलित होता है, और यदि यह गाँठ मनुष्य के शरीर में पैदा होकर फट जाए एवं पेट एवं आंतड़ियो में फ़ैल जाए तो यह गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकते है l
प्लाजमोडियम (Plasmodium)

प्लास्मोडियम एककोशिकीय यूकेरियोट्स का ही एक जीनस है जो कशेरुक (vertebrates) और कीड़ों (insects) के परजीवी हैं। प्रोटिस्टा जगत के इस परजीवी को मलेरिया परजीवी भी कहा जाता है| इसका जीवन चक्र 2 मुख्य प्रवस्थाओ में सम्पन्न होता है, जिसमे से लेंगिक जनन प्रावस्था मादा एनाफिलिज मच्छर द्वारा की जाती है, जो मलेरिया वाहक कहलाती है, एवं अलेंगिक जनन प्रावस्था मानव के रक्त द्वारा सम्पन्न की जाती है |
युग्लिना (Euglena)
इस जीव का बाहरी आवरण बेहद लचीला होता है, जिसे पेलिकल कहा जाता है और यह प्रोटीन से निर्मित होता है | यह जीव गंदे स्थानों, जैसे नाले, गड्ढे, गंदे पानी के जलाशयों आदि में उपस्थित रहता है| जनन के लिए द्विविभाजन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है, एवं जल में संचरण कशाभ द्वारा किया जाता है |

डायटम (Diatom)
इसकी हजारो की संख्या में प्रजातिया जल में स्थित रहती हैं जो जलीय प्राणियों का भोजन करती है | डायटम तन्तु के रूप में विद्यामान हो सकते है, ये एक कोशिकीय भी हो सकते है तथा आकृतियों में भेद हो सकता है | यह जीव नाम मिटटी, जल एवं गीली जगहों पर पाया जाता है | डायटम कोशिका भित्ति निर्मित करते हैं जिसके अंदर सिलिका उपस्थित रहती है| इनमे केन्द्रक पाया जाता है, एवं ये कई प्रकार के मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत है |