हीरा एकल तत्व कार्बन (single element carbon) से बना होता है, और इसमें जाली की संरचना (Diamond Lattice) में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था होती है जो हीरे को इसके अद्भुत गुण प्रदान करती है। हीरे और ग्रेफाइट की संरचना की तुलना करें, दोनों ही कार्बन से बने हैं।
हीरा कार्बन का क्रिस्टलीय अपरूप हैं
इसका प्राकृतिक स्रोत किम्बरलाइट पत्थर होता है।
यह विश्व में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, सयुक्त राज्य अमेरिका , आस्ट्रेलिया, आदि देशों में पाया जाता है।
भारतवर्ष में हीरा गोलकुण्डा, अनन्तपुर, बेलारी, पन्ना, आदि स्थानों पर मिलता है।
कृत्रिम हीरा को सर्वप्रथम मोयासां (Moisson) ने 1893 ई. में बनाया था।
शुद्ध हीरा पारदर्शक एवं रंगहीन होता है, किन्तु अशुद्धियों की उपस्थिति के कारण यह भिन्न-भिन्न रंगों का होता है। कुछ हीरे काले रंग के होते हैं जिसे बोर्ट (Bort) कहते हैं।
यह सभी पदार्थों से अधिक कठोर होता है। इसका अपवर्तनांक 2.417 होता है। अतः पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही यह बहुत चमकता है।
यह ताप और विद्युत का कुचालक है। यह किसी द्रव में नहीं घुलता है। इस पर अम्ल, क्षार, आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
हीरा का उपयोग
रंगहीन हीरे आभूषण बनाने में प्रयुक्त होते हैं। काला हीरा जिसे ‘बोर्ट’ कहते हैं, कांच काटने, चट्टानों में छेद करने तथा अन्य पत्थरों पर पॉलिश करने के काम में लाया जाता है।
काला हीरा को ‘कार्बोनेडो’ (Carbonado) भी कहा जाता है। हीरा की संरचना नियमित चतुष्फलकीय (Regular tetrahedral) होती है।