What is Semiconductor ?
जर्मेनियम व सिलिकॉन जैसे पदार्थ जिनकी विद्युत चालकता सामान्य ताप पर चालक (Conductors) व विद्युत-रोधी (Insulators) पदार्थों की चालकताओं के मध्य होती है, ‘अर्धचालक’ कहलाते हैं।
ताप बढ़ाने पर अर्धचालक की चालकता बढ़ती है तथा ताप घटाने पर घटती है जबकि चालक पदार्थों की चालकता ताप बढ़ाने पर घटती है।
शुद्ध अर्धचालक को ‘निज अर्धचालक’ (Intrinsic semiconductor) कहते है तथा अपद्रव्य (Impurity) युक्त अर्धचालक को ‘बाह्य अर्धचालक’ (Extrinsic semiconductor) कहते हैं। अपद्रव्य मिलाए जाने की प्रक्रिया को ‘डोपिंग’ (Doping) कहते हैं।
N-टाइप अर्धचालक
शुद्ध अर्धचालक (जैसे–जर्मेनियम) में किसी पंचसंयोजी (Pentavalent) अपद्रव्य, जैसे आर्सेनिक को मिलाने से N-टाइप अर्धचालक प्राप्त होता है। इसमें धारा प्रवाह मुख्यतः इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।
P-टाइप अर्धचालक
शुद्ध अर्धचालक में किसी त्रिसंयोजी (Trivalent) अपद्रव्य, जैसे-ऐलुमिनियम को मिलाने से P-टाइप अर्धचालक प्राप्त होता है। इसमें धारा प्रवाह मुख्य रूप से होल (Hole) द्वारा किया जाता है।
उदाहरण
ट्रांजिस्टर (Transistor): इसमें भिन्न अर्द्ध चालकों की दो संधियां बनाई जाती है। जब एक N-टाइप अर्धचालक की पतली पर्त को दो P-टाइप अर्धचालकों के मध्य दबा कर रखा जाता है, तो इससे P-N-P प्रकार का ट्रांजिस्टर बन जाता है।