मुख्यतः तरंगें दो प्रकार की होती हैं: – अनुप्रस्थ तरंगें तथा अनुदैर्ध्य तरंगें
अनुप्रस्थ तरंगें
जब तरंग की गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत् होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को ‘अनुप्रस्थ तरंगें’ (Transverse waves) कहते हैं। अनुप्रस्थ तरंगों के निर्माण के लिए माध्यम में दृढ़ता का होना आवश्यक है। पानी की सतह पर उत्पन्न तरंग, प्रकाश तरंग, आदि अनुप्रस्थ तरंग के उदाहरण हैं।
अनुदैर्ध्य तरंगें
जब तरंग की गति की दिशा माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के अनुदिश (या उसके समान्तर) होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave) कहते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगे सभी माध्यमों (ठोस, द्रव एवं गैस) में उत्पन्न की जा सकती है। भूकम्प तरंगें, स्प्रिंग से उत्पन्न तरंगें, आदि अनुदैर्ध्य तरंगें है। अनुदैर्ध्य तरंगों के निर्माण के लिए माध्यम का प्रत्येक दिशा में लचीला होना चाहिए।