What is Tracheophyta or Vascular Plants ?
इस चैप्टर में हम जानेगे:
- ट्रेकियोफाइटा (Tracheophyta – ट्रेकोफाइट्स) या वैस्कुलर प्लांट क्या है ? (What is a Tracheophyta or a Vascular Plant?)
- ट्रेकियोफाइटा पोधों की विशेषताएँ क्या है ? (What are the characteristics of Tracheophyta plants ? )
- ट्रेकियोफाइटा के प्रकार क्या है ? (What is the type of Tracheophyta?)
ट्रेकियोफाइटा (Tracheophyta – ट्रेकोफाइट्स) या वैस्कुलर प्लांट
वे पौधे, जिनमें संवहनी ऊतक (vascular tissue) पाए जाते हैं उन्हें ट्रेकियोफाइट या ट्रेकोफाइट्स कहते हैं। इन्हें Vascular plants भी कहते है l
यह भूमि पर पाए जाने वाले पौधों का एक मोनोफिलेटिक उपसमूह (monophyletic subgroup) है l
ट्रेकियोफाइटा पोधों की विशेषताएँ क्या है ?
इनके शरीर में जड़, तना, पत्ती होते हैं। तथा जाइलम और फ्लोएम जैसे संवहनी ऊतक होते हैं। यूकेरियोटिक प्रकार वाले यह पोधे पृथ्वी पर सबसे ज्यादा पाए जाते है और यह पृथ्वी पर उपस्थित जीव जगत के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी और लाभदायक होते है । क्लोरोफिल ए और बी उत्प्रेरक की उपस्थिति के कारण यह सार्वभौमिक रूप से हरे रंग के होते हैं।
जैसा कि हम जानते है पौधे (Plante) को दो प्रमुख समूहों में बाँटा जाता है पहला, ब्रायोफाइटा (Bryophyta), जिसमें लिग्निफाइड कोशिका भित्ति (Lignified cell wall) नहीं होती है और इसलिए कुछ सेंटीमीटर से ज्यादा ऊपर की ओर बढ़ने में असमर्थ होते हैं; और दूसरा, ट्रेकोफाइटा (Tracheophyta), जिसमें एक लिग्निफाइड कोशिका भित्ति होती है और यह पोधे 100 मीटर से अधिक ऊंचे पेड़ (जैसे सिकोइया सेपरविरेंस) बन सकते हैं l
ट्रेकियोफाइटा के प्रकार क्या है ? What is the type of Tracheophyta?
ट्रेकियोफाइटा के तीन वर्ग होते है:
- टेरिडोफाइटा (Pteridophyte) (बीजविहीन संवहनी पौधे),
- अनावृतबीजी (Angiosperm) (फलविहीन बीज वाले पौधे) तथा
- आवृतबीजी (Angiosperms) (पुष्पी पादप, जिसमें फल तथा बीज बनते हैं)
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
बीज रहित थैलीनुमा पादप, जो प्राचीनतम संवहनी पौधा है। यह मुख्यतया स्थलीय तथा छायादार और नम स्थानों पर पाया जाता है, परन्तु कुछ टेरिडोफाइट जलीय होते हैं; जैसे-एजोला, साल्वीनिया तथा मार्सिलिया आदि। टेरिडोफाइटा को मुख्यतया तीन समूहों-क्लब मॉस, हॉर्स टेल तथा फर्न में बाँटा जाता है।

अनावृतबीजी (Gymnosperms)
इस समूह के पौधों में बीज किसी प्रकार की संरचना से ढके हुए नहीं होते हैं अर्थात् बीज नग्न (खुला हुआ एवं अण्डाशय का अभाव) होता है। यह पौधा सदाबहार, काष्ठीय तथा लम्बा होता है। ये मरुद्भिद् स्वभाव के होते हैं, जिनमें रन्ध्र पत्ती में घुसे होते हैं तथा बाह्य त्वचा पर क्यूटिकल की पर्त चढ़ी होती है। अनावृतबीजी के अन्तर्गत शंकुधारी पौधे रखे गये हैं, जिसमें चीड़, फर, स्पूस आदि आते हैं।

आवृतबीजी (Angiosperms)
ये पुष्प युक्त पौधे होते हैं, जिसमें बीज सदैव फलों के अन्दर होता है। इस वर्ग के पौधों में जड़, तना, पत्ती, फूल और फल लगते हैं। ये शाक, झाड़िया या वृक्ष तीनों ही रूप में मिलते हैं। आवृतबीजी में परागकण तथा बीजाण्ड विशिष्ट रचना के रूप में विकसित होते हैं, जिन्हें पुष्प कहा जाता है, जबकि अनावृतबीजी में बीजाण्ड अनावृत होते हैं। आवृतबीजी को दो वर्गों एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में बाँटा गया है। एकबीजपत्री बीज में बीजपत्रों की संख्या एक होती है। जबकि द्विबीजपत्री में दो बीजपत्र होते हैं।
